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चुनाव आयोग का फैसला : जम्मू-कश्मीर में बाहरी भी डाल पाएंगे वोट, निवास प्रमाण-पत्र की जरूरत नहीं

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श्रीनगर, 18 अगस्त। भारत निर्वाचन आयोग ने जम्मू-कश्मीर के बारे में महत्वपूर्ण फैसला करते हुए कहा है कि राज्य में रह रहे बाहरी लोग भी मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराकर मतदान में हिस्सा ले सकते हैं और मतदान करने लिए गैर-कश्मीरी लोगों को निवास प्रमाण पत्र की भी जरूरत नहीं है। जम्मू-कश्मीर के मुख्य चुनाव अधिकारी हृदेश कुमार ने यह जानकारी दी है ।

सुरक्षा बल के जवानों और किरायेदारों को भी मतदान का अधिकार

हृदेश कुमार ने यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर में तैनात सुरक्षा बल के जवान भी मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करा सकते हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में किराये पर रह रहे लोगों के पास भी मतदान का अधिकार है। उन्होंने कहा, ‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई जम्मू-कश्मीर में कितने समय से रह रहा है। गैर स्थानीय जम्मू कश्मीर में रह रहा है या नहीं इस पर अंतिम फैसला चुनाव पंजीकरण कार्यालय करेगा। यहां किराए पर रहने वाले भी मतदान कर सकते हैं।’

25 लाख नए मतदाता वोटर लिस्ट में शामिल हो सकते हैं -हृदेश कुमार

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर में लंबे समय बाद इस वर्ष विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है। हृदेश कुमार के मुताबिक इस वर्ष 25 लाख नए मतदाता वोटर लिस्ट में शामिल हो सकते हैं। जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला अनुच्छेद-370 निरस्त होने के बाद पहली बार मतदाता सूची में विशेष संशोधन हो रहा है। राज्य में लंबे समय से चुनाव नहीं हुए हैं, इसलिए नए मतदाताओं की संख्या काफी ज्यादा बढ़ गई है।

15 सितम्बर से शुरू होगी मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया

हृदयेश कुमार ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया 15 सितम्बर से शुरू होकर 25 अक्टूबर तक चलेगी। फिलहाल राज्य में सूचीबद्ध मतदाताओं की कुल संख्या 76 लाख है।

महबूबा बोलीं – यह भाजपा के पक्ष में चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के संकेत

इस बीच बाहरी और गैर कश्मीरी लोगों को मतदान का अधिकार देने के मुद्दे पर राजनीति भी गर्म हो गई है। पीडीपी की मुखिया महबूबा मुफ्ती ने केंद्र इस फैसले को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ‘पहले जम्मू-कश्मीर में चुनावों को स्थगित करने का भारत सरकार का निर्णय और अब गैर स्थानीय लोगों को वोट देने की अनुमति देना, यह भाजपा के पक्ष में चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के संकेत हैं। असली उद्देश्य स्थानीय लोगों को शक्तिहीन करने के लिए जम्मू-कश्मीर पर सख्ती से शासन करना जारी रखना है।’

क्या बीजेपी वास्तविक वोटरों को लेकर असुरक्षित महसूस कर रही – उमर अब्दुल्ला

वहीं जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने भी फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा,  ‘क्या बीजेपी जम्मू-कश्मीर के वास्तविक वोटरों को लेकर इतनी असुरक्षा महसूस कर रही है कि उसे चुनाव जीतने के लिए अस्थायी वोटरों को आयात करने की जरूरत है?’