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केजरीवाल की जमानत के खिलाफ ED की याचिका खारिज, सुप्रीम कोर्ट ने कहा – ‘हमारा आदेश स्पष्ट है’

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नई दिल्ली, 16 मई। सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर चल रहे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के खिलाफ काररवाई के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका खारिज कर दी। गुरुवार को इस मामले पर चली लंबी बहस के दौरान जस्टिस दीपांकर दत्ता व जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि जमानत देकर केजरीवाल को कोई विशेष रियायत नहीं दी गई है और इस फैसले की आलोचना का स्वागत है।

दरअसल, ईडी की तरफ से अरविंद केजरीवाल के बयान को आधार बनाकर याचिका दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘यदि आप AAP को वोट देंगे तो मुझे वापस जेल नहीं जाना पड़ेगा।’ ई़डी ने साथ ही आरोप लगाया था कि केजरीवाल ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है।’

जस्टिस खन्ना बोले – ‘हम फैसले की आलोचना का स्वागत करते हैं’

फिलहाल जस्टिस खन्ना ने केजरीवाल के बयानों पर भी काररवाई से इनकार करते हुए कहा, ‘हमारा आदेश स्पष्ट है कि केजरीवाल को कब सरेंडर करना है, इसके लिए हमने तारीखें तय की हैं। हम शीर्ष अदालत हैं और कानून का शासन इसी से संचालित होगा। हमने किसी के लिए अपवाद नहीं बनाया। हम फैसले की आलोचना का स्वागत करते हैं।’

शीर्ष अदालत के फैसले पर अमित शाह भी उठा चुके हैं सवाल

उल्लेखनीय है कि सिर्फ चुनाव प्रचार के लिए केजरीवाल को 22 दिनों के लिए सुप्रीम कोर्ट से दी गई अंतरिम जमानत पर बहस का नया दौर शुरू हो गया है। यहां तक की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी एक इंटरव्यू के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि कई लोगों को लगता है कि दिल्ली शराब घोटाले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत देने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला उन्हें विशेष उपचार मिलने जैसा है। शाह ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट को कानून की व्याख्या करने का पूरा अधिकार है, लेकिन मेरा मानना ​​है कि यह कोई नियमित फैसला नहीं है। इस देश में बहुत से लोग मानते हैं कि उन्हें विशेष उपचार दिया गया है।’

ED ने कहा – केजरीवाल का बयान न्यायपालिका के चेहरे पर तमाचा

खैर, जेल से बाहर आने के बाद दिए जा रहे केजरीवाल के बयानों पर ED ने सुप्रीम कोर्ट में आपत्ति जताई। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि चुनाव अभियान के दौरान केजरीवाल कह रहे हैं कि अगर आप AAP को जिताते हैं, उनको 2 जून को वापस जेल नहीं जाना पड़ेगा, यह तो सुप्रीम कोर्ट की शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि यह न्यायपालिका के चेहरे पर तमाचा है। वहीं केजरीवाल की तरफ से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने तुषार मेहता की दलीलों का विरोध किया।

ED ने कहा कि इस मामले में इससे पहले कभी भी अरविंद केजरीवाल रिमांड को चुनौती ने नहीं दी थी। हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ उन्होंने मेंशन जरूर किया था। सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा, ‘जब केजरीवाल गिरफ्तार नहीं हुए थे, तब उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने हमसे दस्तावेज मांगे थे। उसको देखने के बाद अदालत ने राहत नहीं दी थी। हम इस मामले में मिनी ट्रायल का विरोध करते हैं।

जस्टिस खन्ना ने तुषार मेहता की बात का जवाब देते हुए कहा, ‘ऐसे मामले हैं। एक पीठ ने नोटिस जारी किया है कि अनुच्छेद 32 की रूपरेखा क्या होनी चाहिए, ऐसी याचिकाओं पर विचार किया गया है। गिरफ्तारियों को बुरा माना गया है, क्या यह सही नहीं है?’

मनी लॉन्ड्रिंग दुनियाभर के देशों के लिए चुनौती : मेहता

तुषार मेहता ने कहा, ‘कहा गया है कि PMLA के तहत बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां होती हैं। हमने विजय मंदनलाल फैसले के बाद के आंकड़े दिए हैं। ये फैसला 2022 में था और तब से कुल गिरफ्तारियां 313 थीं। यह अधिनियम 2002 में लाया गया था। हम एक स्टैंडअलोन देश नहीं हैं, जहां मनी लॉन्ड्रिंग होती है। ऐसे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन हैं, जिनमें कहा गया है कि मनी लॉन्ड्रिंग एक वैश्विक अपराध है। हमारा कानून FATF के अनुरूप है। हर पांच साल में एक समीक्षा होती है और यह देखा जाता है कि हमारा विधायी ढांचा क्या है और इसे कैसे लागू किया जाए। अंतरराष्ट्रीय उधार के लिए हमारी साख पात्रता भी इसी पर निर्भर है।’