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यूपी कफ सिरप केस : ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत दर्ज किया मुकदमा, आलोक सिंह, शुभम जायसवाल व अमित सिंह ‘टाटा’ गैंग की मुसीबतें बढ़ीं

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लखनऊ, 3 दिसम्बर। उत्तर प्रदेश में प्रतिबंधित कफ सिरप की तस्करी कर अरबों रुपये कमाने के मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) की भी एंट्री हो गई है। इस क्रम में केंद्रीय जांच एजेंसी ने बुधवार को आरोपितों के खिलाफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है।

ईडी की इस काररवाई से मास्टरमाइंड शुभम जायसवाल, यूपी पुलिस का बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह, गौरव, वरुण, विकास और अमित टाटा समेत अन्य आरोपितों के संयुक्त गैंग की मुसीबतें बढ़ गई हैं। ईडी जल्दी ही इनकी सम्पत्तियों का ब्योरा जुटाकर जब्ती की काररवाई करेगी।

ईडी ने चार दिन पहले इस प्रकरण में लखनऊ, गाजियाबाद, वाराणसी और सोनभद्र में दर्ज एफआईआर का ब्योरा लिया था। हालांकि इसमें लखनऊ को छोड़ कर अन्य तीन जिलों में दर्ज एफआईआर के आधार पर ही ईसीआईआर (इनफोर्समेंट केस इनफार्मेशन रिपोर्ट) दर्ज की है।

ईडी ने शुभम जायसवाल की शैली ट्रेडर्स (पिता भोलाराम के नाम कम्पनी) और पुलिस सेवा से बर्खास्तगी के बाद पूर्व सांसद व बाहुबली धनंजय सिंह के गनर रहे आलोक सिंह के नाम से दो कम्पनियां मां शारदा व श्रेयसी मेडिकल एजेंसी का पूरा ब्योरा जुटाया है। इसमें करोड़ों रुपये की आय से कई सम्पत्तियां बनाई गईं। इन सभी सम्पत्तियों और बैंक खातों की सूची तैयार की जा रही है।

दो बाहुबलियों की सम्पत्तियां भी निशाने पर

सूत्रों के अनुसार शुभम जायसवाल और बर्खास्त सिपाही आलोक सिंह की फर्म के लेन-देन और उनके सम्पर्कों के आधार पर दो बाहुबलियों की सम्पत्तियां भी ईडी के निशाने पर हैं। देखा जा रहा है कि इन दोनों बाहुबलियों के खातों व इनके नाम की कम्पनियों में आरोपियों की कम्पनियों के खाते से लेन-देन तो नहीं हुआ है।

विभोर राणा और अमित टाटा की गिरफ्तारी से टूटा नेटवर्क

इस सिरप की सप्लाई को रोकने के लिए शासन ने 12 फरवरी, 2024 को एसटीएफ और खाद्य सुरक्षा व औषधि प्रसाधन विभाग की संयुक्त जांच समिति गठित कर जांच करने को कहा। जांच के दौरान ही सुशांत गोल्फ सिटी में भारी मात्रा में फेंसेडिल कफ सिरप बरामद हुआ। इसका मुकदमा सुशांत गोल्फ सिटी थाने में दर्ज हुआ।

उस दौरान ही एसटीएफ ने पिछले माह 12 नवम्बर को सहारनपुर के सदर बाजार निवासी विभोर राणा और विशाल सिंह, फिर 27 नवम्बर को अमित सिंह उर्फ अमित टाटा को गिरफ्तार किया। इसके बाद ही इस गिरोह का पूरा नेटवर्क सामने आ गया। अमित की गिरफ्तारी होते ही आलोक सिंह फरार हो गया था।

श्रेयसी एजेंसी और शारदा मेडिकल्स नाम से सप्लाई की

आलोक सिंह ने एसटीएफ को बताया कि आजमगढ़ निवासी विकास सिंह ने उसका परिचय वाराणसी के शुभम जायसवाल से कराया था। शुभम एबॉट कम्पनी की फेंसेडिल सिरप की सप्लाई शैली ट्रेडर्स नाम से रांची में बड़े पैमाने पर करता था। उसने ही अपने साझीदार वरुण सिंह, गौरव जायसवाल व विशाल मेहरोत्रा से बात करवाई।

एसटीएफ ने बताया कि इन लोगों ने ही आलोक की श्रेयसी मेडिकल एजेंसी नाम से जनवरी 2024 में फर्म बनवाई। इस फर्म का सारा लेनदेन शुभम जायसवाल व उसका सीए तुषार देखता था। धनबाद में पांच लाख रुपये की सप्लाई पर उसे 20-22 लाख रुपये मुनाफा दिया गया। वह धनबाद दो बार ही गया। इसके बाद वाराणसी में भी उसके नाम मां शारदा मेडिकल नाम से फर्म खुलवाई गई।

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