भोपाल, 14 जून। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के दो मदरसों की जांच में कई नियमों की अनदेखी किए जाने के मामले सामने आए हैं। इन मदरसों में बिहार के 35 में से कम से कम 24 छात्रों की जन्मतिथि एक जनवरी दर्ज है। हालांकि जन्म के साल में अंतर जरूर है।
समाचार चैनल एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार अधिकारियों ने बताया कि इन छात्रों के नामांकन के लिए माता-पिता की सहमति दिखाने वाला कोई दस्तावेज भी मदरसों के पास उपलब्ध नहीं था। गौरकरने वाली बात यह भी है कि बाणगंगा क्षेत्र में स्थित इन मदरसों में किसी स्थानीय छात्र का नामांकन भी नहीं है।
मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग (MPCPCR), बाल कल्याण समिति (CWC) और पुलिस द्वारा शुक्रवार को इन मदरसों का निरीक्षण किया गया। इससे एक दिन पहले पुलिस ने पाया कि कम से कम 10 नाबालिगों को बिना माता-पिता की सहमति के भोपाल लाया गया था।
बच्चों के आधार कार्ड ही उनके एकमात्र पहचान दस्तावेज
आयोग के सदस्य ब्रजेश चौहान ने बताया कि इन मदरसों में अधिकतर बच्चों को उनके गांवों के मुखिया (प्रमुख) द्वारा हस्ताक्षरित दस्तावेजों के आधार पर भर्ती कराया गया है। बच्चे 12-15 वर्ष की उम्र के हैं और बिहार के पूर्णिया और मधुबनी जिलों से हैं। उनके पास एकमात्र पहचान दस्तावेज आधार कार्ड हैं।
चौहान ने कहा, ‘हम बिहार बाल अधिकार आयोग और वहां की पुलिस को स्थानीय स्तर पर मामले की जांच करने के लिए लिख रहे हैं, जिसमें सभी संभावित एंगल शामिल हैं।’ हम यहां की पुलिस से भी जांच करने के लिए कह रहे हैं।’
दोनों संस्थान राज्य मदरसा बोर्ड में पंजीकृत, लेकिन बिना अनुमति छात्रावास का संचालन
यह बात भी सामने आई है कि दोनों संस्थान राज्य मदरसा बोर्ड में पंजीकृत हैं, लेकिन बिना अनुमति के छात्रावास चला रहे हैं। चौहान ने कहा कि छात्रावास केवल टीन शेड में बना है और इसमें उचित शौचालय भी नहीं है।
मदरसों में सिर्फ धार्मिक शिक्षा दी जा रही थी
एक मदरसे में कुछ बच्चों ने निरीक्षण दल को बताया कि वे पहले से ही बिहार में अपने मूल स्थानों के स्कूलों में नामांकन ले चुके थे। अधिकारियों ने यह भी कहा कि छात्रों को मदरसों में केवल धार्मिक शिक्षा दी जा रही थी।