नई दिल्ली, 18 अप्रैल। केरला के कासरगोड में मतदान से पहले मॉक पोल में यह बात सामने आई है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पक्ष में वोट जाते हुए दिखे और इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपनाते हुए भारत निर्वाचन आयोग (ECI) से एक्शन लेने के लिए कहा है।
प्रशांत भूषण ने यह मामला सुप्रीम कोर्ट में उठाया
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चुनाव आयोग को निर्देशित किया कि केरल में देखिए, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में कहां और क्यों दिक्कत आ रही है। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता इस मामले की सुनवाई कर रहे थे और उन्होंने ECI परिषद से इस मामले को देखने के लिए कहा है, जिसे वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में उठाया।
प्रशांत भूषण के मुताबिक, कासरगोड में वोटिंग से पहले मॉक पोल हुआ, जहां चार ईवीएम और वीवीपैट में भाजपा के लिए एक अतिरिक्त वोट रिकॉर्ड हो रहा था। इस बात का खुलासा मनोरमा की एक रिपोर्ट के जरिए हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने ECI परिषद के मनिंदर सिंह से इसे क्रॉसचेक करने के लिए कहा है।
चुनाव आयोग ने वीवीपैट वैरिफिकेशन पूरा होने की शीर्ष अदालत को दी जानकारी
शीर्ष अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें चुनाव के दौरान ईवीएम के माध्यम से डाले गए प्रत्येक वोट का वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों से मिलान करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। चुनाव आयोग ने बताया कि वीवीपैट वैरिफिकेशन पूरा हो गया है, हर विधानसभा क्षेत्र से पांच रैंडम ईवीएम को चेक किया गया है।
हर EVM वोट का मिलान वीवीपैट पर्चियों से किए जाने की कोर्ट से अपील
याचिकाकर्ताओं में से एक वकील और सामाजिक कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल ने प्रार्थना की है कि प्रत्येक ईवीएम वोट का मिलान वीवीपैट पर्चियों से किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से यह निर्देश देने की मांग की है कि मतदाताओं को वीवीपैट के जरिए मिली पर्चियों को मतपेटी में फिजीकली रूप से डालने की अनुमति दी जानी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मतदाता का मत ‘रिकॉर्ड के रूप में गिना गया है’।