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मध्य प्रदेश : मोहन यादव सरकार के कदम से स्कूलों में 10 फीसदी तक बढ़ सकती है फीस

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भोपाल, 10 दिसम्बर। मध्य प्रदेश के छोटे स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों के परिजनों पर निकट भविष्य में आर्थिक बोझ बढ़ सकता है। इसकी वजह यह है कि वर्ष में 25 हजार तक की सालाना फीस लेने वाले स्कूलों को मोहन यादव सरकार मध्य प्रदेश निजी विद्यालय (फीस व संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम से बाहर करने की तैयारी कर रही है।

छोटे निजी स्कूलों को एमपी निजी विद्यालय अधिनियम से बाहर करने की तैयारी

दरअसल, स्कूल शिक्षा विभाग ने एक संशोधन विधेयक तैयार किया है। यह विधेयक विधानसभा के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। इसमें संशोधन से 25 हजार तक की स्कूल फीस लेने वाले स्कूल 10 फीसदी से ज्यादा फीस बढ़ा सकेंगे। इसके लिए उन्हें जिला कमेटी से अनुमति लेने की बाध्यता नहीं होगी।

लगभग 17 हजार स्कूलों को मिलेगा फायदा

मध्य प्रदेश में लगभग 35 हजार निजी स्कूल संचालित हो रहे हैं। स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए राज्य सरकार ने मध्य प्रदेश निजी विद्यालय (फीस और संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम 2017 बनाया था, जिसे 2018 में लागू कर दिया गया था। इसके बाद वर्ष 2020 में इसके नियम लागू किए गए। इसमें प्रावधान किया गया था कि निजी स्कूल अपनी मनमर्जी से 10 फीसदी से ज्यादा फीस में बढ़ोतरी नहीं कर सकेंगे। 10 फीसदी से ज्यादा फीस वृद्धि के लिए जिला कमेटी की अनुमति अनिवार्य की गई है।

अब छोटे स्कूलों को मिलेगी राहत

राज्य सरकार इस कदम से अब छोटे स्कूलों को फीस बढ़ोतरी में राहत देने की तैयारी कर रही है। प्रदेश में ऐसे करीबन 17 हजार स्कूल हैं, जिनकी सालाना फीस 25 हजार रुपये से कम है। ऐसे स्कूलों को मध्य प्रदेश निजी विद्यालय (फीस व संबंधित विषयों का विनियमन) अधिनियम के दायरे से बाहर किया जाएगा।

स्कूली शिक्षा विभाग के अधिकारियों का इसके पीछे तर्क है कि छोटे स्कूल यदि 10 फीसदी फीस बढ़ाते हैं, तो बड़े स्कूलों के मुकाबले इसका बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ता। इसलिए छोटे स्कूलों को फीस बढ़ोतरी की सीमा 10 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी करने की तैयारी की जा रही है। यानी अब 15 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी करने पर उन्हें जिला कमेटी से अनुमति लेनी होगी।

एसोसिएशन ने सरकार के फैसले का किया स्वागत

इस बीच प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत सिंह ने कहा कि यदि सरकार छोटे स्कूलों को फीस बढ़ोतरी की सीमा बढ़ाने का प्रस्ताव करती है तो यह अच्छा कदम होगा। छोटे स्कूलों में छात्र संख्या और फीस दोनों ही कम होती है।

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