नई दिल्ली, 25 जुलाई। देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में सोमवार को शपथ लेने के बाद श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत नहीं बल्कि भारत के हर गरीब की उपलब्धि है। संसद के ऐतिहासिक सेंट्रल हाल में देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ लेने के बाद अपने लिखित संबोधन में मुर्मू ने यह बात कही।
देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा, ‘जोहार, नमस्कार…मैं भारत के समस्त नागरिकों की आशा-आकांक्षा और अधिकारों की प्रतीक इस पवित्र संसद से सभी देशवासियों का पूरी विनम्रता से अभिनंदन करती हूं। आपकी आत्मीयता, विश्वास और आपका सहयोग, मेरे लिए इस नए दायित्व को निभाने में मेरी बहुत बड़ी ताकत होंगे।’
भारतीय इतिहास की सबसे युवा राष्ट्रपति 64 वर्षीया मुर्मू ने कहा, ‘भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर निर्वाचित करने के लिए मैं सभी सांसदों और सभी विधानसभा सदस्यों
आजादी के 75 साल और संयोग
झारखंड के राज्यपाल पद की शोभा बढ़ा चुकीं मुर्मू ने कहा, ‘मुझे राष्ट्रपति के रूप में देश ने एक ऐसे महत्वपूर्ण कालखंड में चुना है, जब हम अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं और आज से कुछ दिन बाद ही देश अपनी स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे करेगा।’
उन्होंने कहा, ‘यह भी एक संयोग है कि जब देश अपनी आजादी के 50वें वर्ष का जश्न मना रहा था तभी मेरे राजनीतिक जीवन की शुरुआत हुई थी और आज आजादी के 75वें वर्ष में मुझे यह नया दायित्व मिला है।’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘मैं देश की ऐसी पहली राष्ट्रपति भी हूं, जिसका जन्म आजाद भारत में हुआ है। हमारे स्वाधीनता सेनानियों ने आजाद हिन्दुस्तान के हम नागरिकों से जो अपेक्षाएं की थीं, उनकी पूर्ति के लिए इस अमृतकाल में हमें तेज गति से काम करना है।’
भारत का हर गरीब देख सकता है सपना
द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि इन 25 वर्षों में अमृतकाल की सिद्धि का रास्ता दो पटरियों…. सबका प्रयास और सबका कर्तव्य पर आगे बढ़ेगा। मुर्मू ने कहा, ‘राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब सपने देख भी सकता है और उन्हें पूरा भी कर सकता है।’