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नागपुर-मुंबई हाईस्पीड बुलेट रेल कॉरिडोर : मंजूरी के लिए रेलवे बोर्ड के पास भेजी गई डीपीआर

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नागपुर, 17 मई। नेशनल हाईस्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचआरसीएल) ने नागपुर-मुंबई हाईस्पीड बुलेट रेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए विस्तृत प्रकल्प रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर ली है और इसे मंजूरी के लिए रेलवे बोर्ड के पास भेज भी दिया है।

रेलवे बोर्ड अब बारीकी से डीपीआर का अध्ययन कर रहा है। यदि इसमें कुछ संशोधन की गुंजाइश हुई तो डीपीआर पुन: एनएचआरसीएल के पास भेजी जाएगी, अन्यथा रेलवे बोर्ड डीपीआर को केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास मंजूरी के लिए भेजेगा। अंततः आम बजट में घोषणा के बाद नागपुर-मुंबई हाईस्पीड बुलेट रेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट का जमीनी स्तर पर काम शुरू हो सकेगा।

766 किलोमीटर के प्रोजेक्ट पर प्रति किमी खर्च होंगे 232 करोड़ रुपये

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार एनएचआरसीएल द्वारा तैयार डीपीआर में 766 किमी लंबाई के नागपुर-मुंबई बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में प्रति किमी 232 करोड़ रुपये का खर्च अपेक्षित है। इसी क्रम में यात्री किराया भले ही अभी भविष्य के गर्भ में है, लेकिन भारतीय रेलवे के एसी-1 कोच की तुलना में बुलेट ट्रेन का यात्री किराया डेढ़ गुना अधिक हो सकता है।

महज 3.5 घंटे में तय होगा मुंबई से नागपुर का सफर

यह बुलेट ट्रेन 10 जिलों से गुजरेगी और मुंबई से नागपुर के बीच वर्धा, खापरी डिपो, पुलगांव, मालेगांव जहांगीर, जालना, कारंजा लाड, मेहकर, शिर्डी, नाशिक, औरंगाबाद, ईगतपुरी व  शाहपुर को जोड़ेगी। कॉरिडोर समृद्धि महामार्ग, राष्ट्रीय महामार्ग व अन्य मार्गों के समानांतर प्रस्तावित इस बुलेट ट्रेन कॉरिडोर के जरिए मुंबई से नागपुर तक का सफर महज 3.5 घंटे में तय हो जाएगा जबकि अभी सड़क मार्ग से मुंबई से नागपुर जाने में 12 घंटे से अधिक समय लगता है।

वर्ष 2019 में प्रस्तावित किए गए थे 6 नए हाईस्पीड बुलेट रेल कॉरिडोर

 गौरतलब है कि वर्ष 2019 में प्रस्तावित देश के छह नए हाईस्पीड बुलेट रेल कॉरिडोर में नागपुर-मुंबई हाईस्पीड बुलेट रेल कॉरिडोर प्रोजेक्ट भी शामिल है। इसे साकार करने की जिम्मेदारी नेशनल हाईस्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड को दी गई है।

एनएचआरसीएल दिल्ली की जनसंपर्क अधिकारी सुणमा गौर ने बताया कि एनआरएचसीएल ने प्रोजेक्ट के लिए डीपीआर बनाने की दृष्टि से बीते दो वर्षों में मुंबई से नागपुर तक एरियल (लीडार) सर्वे, राइडरशिप सर्वे, एन्यरोन्मेंटल इम्पैक्ट सर्वे और सोशल इम्पैक्ट सर्वे किए हैं। इसके बाद अब डीपीआर तैयार कर इसे मंजूरी के लिए रेलवे बोर्ड के पास भेजा गया है।