लखनऊ, 6 अक्टूबर। त्योहार कोई भी हो, मार्केट में उसकी झलक सबसे पहले देखने को मिलती है। अक्टूबर माह में आने वाली शारदीय नवरात्रि हम सभी के लिए खास है। इस बार इसकी शुरुआत रविवार 15 अक्टूबर, 2023 से हो रही है। वहीं 24 अक्टूबर को विजयदशमी का त्योहार मनाया जाएगा। मां दुर्गा को समर्पित यह पर्व पूरे नौ दिनों तक चलेगा। नवरात्रि में माता रानी के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। हर दिन का अपना अलग महत्व होता है।
नवरात्रि के त्योहार की धूम मंदिर से लेकर पूजा पंडाल व घर-घर में नजर आती हैं। इस दौरान कलश की स्थापना भी की जाती है। परिवार के साथ पूजा करते हुए सभी लोग माता रानी का आशीर्वाद भी लेते हैं। साथ ही कुछ लोग इस दौरान अखंड ज्योत भी जलाते है। इस दौरान पूजा के सभी नियमों का विशेष ध्यान रखा जाता है। अक्सर लोग नवरात्रि की पूजा में गलतियां कर देते हैं, जिस पर उनका ध्यान नहीं जाता। इसी कड़ी में आइए उन सभी गलतियों के बारे में विस्तार से जान लेते हैं।
नवरात्रि हवन
किसी भी पूजा या उपवास को तब तक पूरा नहीं माना जाता है, जब तक हवन ना किया जाए। नवरात्रि में हवन जरूर करना चाहिए। यह आपके उपवास को पूरा करता है। इसके बिना आपकी पूजा पूर्ण नहीं होगी। हवन करने से मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा भी प्राप्त होती है।
कलश स्थापना
नवरात्रि पूजा में कलश स्थापना का अपना अलग महत्व है। देवी पुराण के अनुसार, मां भगवती की पूजा से पहले कलश स्थापना जरूरी है। कहा जाता है कि पूजा के दौरान कलश को देवी की शक्ति के प्रतीक के रूप में स्थापित किया जाता है। इसलिए कलश को स्थापित करना ना भूलें।
आरती
आमतौर पर व्यस्त रहने के कारण कुछ लोग आरती किए बगैर ही उपवास रख लेते हैं। हालांकि, यह तरीका गलत है। यदि आप नवरात्रि का उपवास कर रहे हैं तो नियमनुसार आरती करें। इससे आपके व्रत को पूर्ण माना जाता है।
माता का श्रृंगार
आपकी पूजा में माता का 16 श्रृंगार होना बेहद जरूरी है। जिनमें बिंदी, सिंदूर, लाल चूड़ी, मेहंदी, बाजूबंद, हाथ फूल, मांग टीका, झुमके, नथ, काजल, मंगलसूत्र, लाल चुनरी, कमरबंद, कुमकुम, पायल और बिछिया का नाम शामिल है।
कन्या पूजन
नवरात्रि की पूजा में कन्या पूजन बेहद शुभ माना जाता है। वह सभी कन्या देवी के समान होती है। इसलिए अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन करना चाहिए। हालांकि, आम दिनों में भी कन्याओं की सेवा करनी चाहिए। यह बेहद खास माना जाता है।