मुंबई, 28 दिसम्बर। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने अगले वर्ष 22 जनवरी को अयोध्या के नवनिर्मित भव्य राम मंदिर में प्रस्तावित रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए आमंत्रित नहीं किए जाने पर खुलकर निराशा जाहिर की है।
शरद पवार ने कहा कि उन्हें राम मंदिर के उद्घाटन समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया है, लेकिन उनके पास कुछ और भी जगहें हैं, जहां उनकी आस्था है और वह वहां जाएंगे। इसके साथ ही उन्होंने भाजपा पर राम मंदिर के नाम पर राजनीति करने का भी आरोप लगाया है।
एनसीपी प्रमुख ने कहा, ‘मुझे राम मंदिर के उद्घाटन में आमंत्रित नहीं किया गया है, मेरे कुछ आस्था स्थल हैं, मैं वहां पर जाता हूं। किसी धार्मिक स्थल पर जाने का सवाल व्यक्तिगत है। मैं खुले तौर पर यह नहीं कह रहा हूं और मुझे पता भी नहीं है। भाजपा राम मंदिर के नाम पर राजनीति कर रही है या व्यापार कर रही है।’
राम मंदिर को एक बहाने के रूप में इस्तेमाल कर रहा सत्तारूढ़ दल
शरद पवार ने कहा, ‘सत्तारूढ़ दल के पास लोगों का समर्थन हासिल करने के लिए कोई ठोस कार्यक्रम नहीं है, इसलिए ऐसा लगता है कि वे राम मंदिर को एक बहाने के रूप में इस्तेमाल करके लोगों के बीच एक अलग राय बनाने की कोशिश कर रहे हैं।’
राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात
इस बीच अयोध्या राम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की। बैठक में संभवतः सांस्कृतिक पहल और अयोध्या में श्री राम मंदिर के निर्माण की प्रगति पर चर्चा हुई। बातचीत का उद्देश्य राष्ट्रपति को इन महत्वपूर्ण परियोजनाओं के विकास से अवगत कराना था।
नृपेंद्र मिश्रा ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, वर्तमान अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को भी रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए आमंत्रित किया। हालांकि कांग्रेस पार्टी की ओर से अब तक पुष्टि नहीं हुई है कि आमंत्रित कांग्रेसी नेता मंदिर उद्घाटन में जाएंगे या नहीं।
गौरतलब है कि रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत हजारों गणमान्य व्यक्तियों के शामिल होने की उम्मीद है। ट्रस्ट ने समारोह के लिए सभी संप्रदायों के 4,000 संतों को भी आमंत्रित किया है। ट्रस्ट ने 22 जनवरी को दोपहर से 12.45 बजे के बीच गर्भगृह में भगवान राम की मूर्ति को विराजमान करने का फैसला किया है। वैदिक पुजारी लक्ष्मीकांत दीक्षित उस दिन अभिषेक समारोह के मुख्य अनुष्ठान करने वाले हैं।