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डिजिटल सेवा कर मामला : अमेरिका ने भारत सहित छह देशों पर अतिरिक्त शुल्क किया निलंबित

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वॉशिंगटन/नई दिल्ली , 3 जून। अमेरिका में बुधवार को नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला। इसके तहते उसने पहले भारत सहित उन छह देशों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की, जो अमेरिकी ई-कॉमर्स कम्पनियों पर डिजिटल सेवा कर लगा रहे हैं या लगाने पर विचार कर रहे हैं, और कुछ देर बाद ही इस कर को छह माह के लिए निलंबित करने का निर्णय ले लिया।

अमेरिका ने इसलिए किया यह फैसला

समझा जाता है कि अमेरिका ने आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (ओईसीडी) और जी-20 में अंतरराष्ट्रीय कराधान को लेकर चल रही बहुपक्षीय वार्ता पूरी होने के लिए समय देते हुए छह माह के लिए इस अतिरिक्त शुल्क को लगाने के साथ इसे निलंबित करने का फैसला किया।

अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) कैथरीन ताई ने एक बयान जारी कर ऑस्ट्रिया, भारत, इटली, स्पेन, तुर्की और ब्रिटेन द्वारा अपनाए गए डिजिटल सर्विस टैक्स (डीएसटी) पर एक वर्ष की जांच के समापन की घोषणा की।

कैथरीन ने बयान में कहा कि जांच के अंतिम निर्णय में इन देशों के कुछ सामानों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने का फैसला किया गया। इस अतिरिक्त शुल्क को हालांकि लगाए जाने के साथ ही 180 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया ताकि ओईसीडी और जी20 प्रक्रिया में अंतरराष्ट्रीय कराधान पर चल रही बहुपक्षीय वार्ताओं को पूरा करने के लिए अतिरिक्त समय मिल सके।

यूएसटीआर ने पिछले वर्ष रखा था जवाबी काररवाई का प्रस्ताव

गौरतलब है कि पिछले वर्ष मार्च में यूएसटीआर ने भारत समेत उन देशों पर जवाबी कार्रवाई का प्रस्ताव रखा था, जो अमेरिका की ई-कॉमर्स कम्पनियों पर डीएसटी लगा रहे थे अथवा लगाने की तैयारी में थे। यूएसटीआर ने इन देशों पर 25 प्रतिशत तक अधिक अतिरिक्त शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा था ताखि अमेरिका भी भारतीय सामानों पर उतना शुल्क वसूल करे सके, जितना अमेरिकी कम्पनियों पर भारत में डीएसटी लग रहा है।

डीएसटी में भेदभाव जैसी कोई बात नहीं  भारत

अमेरिका की इस घोषणा के बाद भारत सरकार के सूत्रों ने नई दिल्ली में कहा कि अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने को स्थागित करना फ्रांस पर डीएसटी जांच के समान है, यूएसटीआर ने ओईसीडी में बातचीत को आगे बढ़ाने के लिए पहले छह माह की देरी के बाद अतिरिक्त शुल्क अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया।

हालांकि भारत का कहना है कि डीएसटी बिल्कुल भी भेदभाव करने वाला नहीं है। यह केवल भारत में स्थायी स्थापना वाली संस्थाओं द्वारा की गई ई-कॉमर्स गतिविधियों के संबंध में एक समान अवसर सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।

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