देहरादून, 4 फरवरी। उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने रविवार शाम यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) पर तैयार किए गए मसौदे को मंजूरी दे दी। धामी कैबिनेट की बैठक में पेश UCC ड्राफ्ट पर चर्चा हुई और इसे विधानसभा में पेश करने की मंजूरी दी गई। बिल को अब धामी सरकार छह फरवरी को विधेयक के रूप में विधानसभा में पेश करेगी। यदि सब कुछ अनुकूल रहा तो उत्तराखंड पहला राज्य बन सकता है, जहां समान नागरिक कानून लागू हो जाएगा।
दरअसल, सीएम धामी ने शनिवार को भी UCC के ड्राफ्ट पर चर्चा करने के लिए कैबिनेट की बैठक बुलाई थी। लेकिन उस बैठक में यूसीसी पर चर्चा नहीं हो सकी थी, इसलिए ड्राफ्ट को आज हुई कैबिनेट की बैठक में चर्चा के लिए रखा गया था और फिर इसे मंजूरी दी गई। इस बैठक में सोमवार (पांच फरवरी) से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र को लेकर भी चर्चा की गई।
उत्तराखण्ड की देवतुल्य जनता के समक्ष रखे गए संकल्प के अनुरूप समान नागरिक संहिता लागू करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए आज देहरादून में UCC ड्राफ्ट तैयार करने के उद्देश्य से गठित कमेटी से मसौदा प्राप्त हुआ।
आगामी विधानसभा सत्र में समान नागरिक संहिता का विधेयक पेश किया जाएगा और… pic.twitter.com/XaEdf5ynqB
— Pushkar Singh Dhami (@pushkardhami) February 2, 2024
उल्लेखनीय है कि पर्वतीय प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की दिशा में UCC समिति की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने मसौदा समिति के सदस्यों के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को UCC मसौदा रिपोर्ट सौंप दी थी। धामी सरकार ने UCC के लिए 27 मई, 2022 को पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया था।
ड्राफ्ट की प्रमुख बातें
- लड़कियों की शादी की उम्र 18 वर्ष और लड़कों की शादी की उम्र 21 वर्ष होगी।
- विवाह का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।
- पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान कारण और आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा।
- एक पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं हो सकेगी। यानी पॉलीगैमी या बहुविवाह पर रोक लगेगी।
- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर अधिकार होगा।
- लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन आवश्यक होगा। यह एक सेल्फ डिक्लेरेशन की तरह होगा।
- अनुसूचित जनजाति के लोग इस परिधि से बाहर रहेंगे।
यूसीसी मसौदे का विरोध भी हो रहा
हालांकि यूनिफॉर्म सिविल कोड के मसौदे का विरोध भी हो रहा है। कहा जा रहा है कि मसौदे को जांच के लिए सार्वजनिक नहीं किया गया है। बताया जा रहा है कि जनजातियों को संहिता से बाहर रखने और इस धारणा के बारे में चिंताएं व्यक्त की गईं कि केवल मुस्लिम पर्सनल लॉ को निशाना बनाया जा रहा है। नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि यूसीसी कुरान और शरिया का खंडन करता है तो विरोध किया जाएगा।
मुस्लिम सेवा संगठन के नईम कुरेशी ने कहा कि यूसीसी वास्तव में अस्तित्व में नहीं है क्योंकि एक यूनिफॉर्म सिविल कोड पूरे देश में समान रूप से लागू होना चाहिए। उन्होंने मुसलमानों को रूढ़िवादी के रूप में चित्रित करने की आलोचना की और इस बात पर जोर दिया कि कानूनी मामलों को देश की अदालतों में निबटाया जाता है, काजियों द्वारा नहीं।