नई दिल्ली, 8 फरवरी। तुर्की-सीरिया में भूकंप से मरने वालों की संख्या 11000 पार कर गई है। लेकिन कई जिंदगियां अब भी मलबे में दबी हुई किसी फरिश्ते के पहुंचने का इंतजार कर रही हैं। इन मलबों से ऐसे नवजात बच्चे भी निकल रहे हैं, जो अभी इस धरती पर आए ही थे।
तुर्की में 53 घंटे और 55 घंटे के बाद मलबे से बच्चे जिंदा निकाले जा रहे हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन की कहानियां भावुक कर देने वाली हैं। यहां एक ऐसी बच्ची का रेस्क्यू किया गया है, जिसका जन्म भूकंप के बाद मलबे में हुआ। इस बच्ची की मां इसे जन्म देने के बाद मलबे में ही मर गई जबकि इसका गर्भनाल मां से ही जुड़ा हुआ था।
55 घंटे बाद निकला बच्चा, पालतू चिड़िया को हाथ में पकड़े रहा
भूकंप से सबसे ज्यादा प्रभावित कहमानमारश में रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान टीम की नजर 13 वर्ष के एक ऐसे बच्चे पर गई, जो मलबे में 55 घंटे से फंसा था। इस बच्चे ने हाथ में अपनी पालतू चिड़िया को पकड़े रखा था।
तुर्की के समाचारपत्र डेलीसबह के अनुसार रेस्क्यू के दौरान टीम ने एक अपार्टमेंट के मलबे में चीखें सुनी। यहां तीन घंटे से रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा था। जब रेस्क्यू टीम नजदीक पहुंची तो उसे माजरा समझ में आया। टीम ने तुरंत मलबा हटाया तो बेरात नाम का बच्चा अपनी चिड़िया को हाथ में पकड़े हुए था। रेस्क्यू एजेंसियों के अनुसार दोनों की हालत अब ठीक है।
‘पापा ठंडी हो चुकी हूं, मेरे हाथ सफेद पड़ चुके हैं‘
दक्षिण तुर्की के कहमानमारश में ही पांच वर्ष की बच्ची यागमुर की रेस्क्यू की कहानी रुला देने वाली है। यागमुर मलबे में फंस गई थी। इस बच्ची के परिवार के दूसरे सदस्यों का रेस्क्यू पहले ही किया जा चुका था। बच्ची को मलबे में दबे 48 घंटे हो चुके थे। मलबा हटाते-हटाते जब इस बच्ची का चेहरा दिखा तो उसकी बातें सुनकर इसके पिता समेत पूरी टीम की आंखों में आंसू आ गए। मलबे में फंसी बच्ची ने कहा – ‘पापा ठंडी हो चुकी हूं, मेरे हाथ सफेद पड़ चुके हैं।’ बता दें कि इस स्थान में अभी तापमान शून्य से नीचे है। इस ठंड में रेस्क्यू ऑपरेशन अपने आप में एक चुनौती है।
अपनी बेटी को ढाढ़स बंधाते हुए इस शख्स ने कहा, ‘ये लोग मलबा हटा ही रहे हैं, वो तुम तक पहुंचने ही वाले हैं।’ इस पर बच्ची ने कहा कि मैं दादी के घर जाना चाहती हूं। बच्ची की बेचारगी को सुनते हुए रेस्क्यू टीम के लिए खुद को संभाल पाना मुश्किल हो गया। आखिर कुछ घंटे बाद टीम उस स्थान पर एक छेद करने में कामयाब हो गई। तब जाकर बच्ची को निकाला गया।
उम्मीद का दूसरा नाम बन चुका है आरिफ
कहमानमारश तुर्की का वो शहर है, जहां जलजले का कहर सबसे ज्यादा देखने को मिला है। यहां आरिफ नाम के तीन वर्षीय बच्चे को रेस्क्यू टीम ने मलबे के अंदर से निकाला। आरिफ के शरीर का निचला हिस्सा कंक्रीट के स्लैब में फंस गया था। उसके आस-पास लोहे का सरिया भी मुड़ गया था। ऐसे में उसे निकालने में टीम को काफी परेशानी उठानी पड़ी। ठंड से बचाने के लिए रेस्क्यू टीम ने उसके गर्दन को कंबल से ढक दिया। इसके बाद बड़ी सावधानी से रेस्क्यू टीम ने मलबे को वहां से काटकर हटाया।
बच्चे के पिता एर्दगुल कीसी को पहले ही बचाया जा चुका था। अपने बच्चे को देखकर वो फूट-फूटकर रोने लगे। आरिफ के रेस्क्यू की तस्वीरें तुर्की भर में टीवी चैनलों पर प्रसारित की गईं। इस घटना की कवरेज कर रहे एक शख्स ने कहा कि कहमानमारश में आरिफ अभी उम्मीद का दूसरा नाम बन चुका है। इसके कुछ घंटे बाद रेस्क्यू टीम ने बेतुल को मलबे से निकाला।
एक वर्षीय बच्चा 53 घंटे बाद जिंदा निकाला गया
सनलिउर्फा प्रांत में रेस्क्यू टीम ने पांच मंजिला अपार्टमेंट से एक बच्चे को 53 घंटे बाद मलबे से जिंदा निकाला। एजेंसियों के अनुसार सनलिउर्फा में जलजले के बाद कई बहुमंजिला इमारतें गिर गई हैं। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान 5 मंजिला अपार्टमेंट के मलबे से एक साल का एक बच्चा जीवित मिला। बच्चे के चेहरे पर धूल की मोटी परतें जम गई थीं। बच्चे को तुरंत अस्पताल भेजा गया है।
सीरिया की ये बच्ची किसी चमत्कार से कम नहीं
सीरिया में रेस्क्यू की एक कहानी ऐसी है, जो चमत्कार से कम नहीं है। सीरिया में जब सुबह-सुबह भूकंप आया तो इससे एक महिला इस कदर खौफजदा हो गई कि उसे उसी वक्त प्रसव पीड़ा शुरू हो गई। भूकंप की वजह से इस फैमिली का पूरा घर ही जमींदोज हो गया। ये घटना सीरिया के आफरीन के जेंडर्स इलाके की है।
यहां बारिश, बर्फबारी और शून्य से नीचे के तापमान के बीच रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है। यहां जब आस-पास के लोंगो ने एक जमींदोज बिल्डिंग के आस-पास मलबा हटाना शुरू किया तो उन्हें नवजात बच्ची की रोने की आवाज सुनाई दी।
जब लोग मलबे को हटाकर बच्ची के पास पहुंचे तो वे हैरान रह गए। ये एक नवजात बच्ची थी। बच्ची का गर्भनाल अपनी मां से जुड़ा हुआ था। बच्ची की मां अफरा अबु हादिया बच्ची को जन्म देने के पास जिंदगी की लड़ाई हार गई। सिर्फ बच्ची की मां ही नहीं उसके पिता भी इस भूकंप में मारे गए। ये बच्ची अपने परिवार की इकलौती सदस्य है, जो जिंदा है।
इस बच्ची को 10 घंटे बाद मलबे से निकाला गया। उसके बाद उसका गर्भनाल काटा गया, फिर तुरंत उसे अस्पताल ले जाया गया। बच्ची को फिलहाल इनक्यूबेटर में रखा गया है। जब लोग वहां पहुंचे तो बच्ची के शरीर का तापमान गिरकर 35 डिग्री पहुंच चुका था। उसके शरीर पर कई चोट थे। डॉक्टरों का कहना है कि अगर बच्ची को निकालने में एक घंटे की देरी हो जाती तो बच्ची का बचना मुश्किल था।