नई दिल्ली, 15 फरवरी। भारत के अलावा हिंदी भाषा का अब विदेशों में भी सम्मान बढ़ रहा है। हिंदी की ख्याति विश्व के कई हिस्सों में लगातार बढ़ रही है। यही वजह है कि फिजी की नई सरकार ने हिंदी को भी संसद में बोलचाल की भाषा के माध्यम के रूप में शामिल किया है। इससे पहले हिंदी में अभी तक सिर्फ भारतीय संसद में ही विमर्श किया जाता था, लेकिन अब फिजी ने भी इसकी व्यापकता को स्वीकार किया है। वहां की नई सरकार ने अंग्रेजी के साथ हिंदी को भी संसद में बोलचाल की भाषा के माध्यम के रूप में अंगीकार किया है।
फिजी की हिंदी भारत की मानक हिंदी से थोड़ा-सी अलग है। बहुत कुछ अवधी एवं भोजपुरी से मिलती-जुलती है। इसी क्रम में 12वां विश्व हिंदी सम्मेलन इस बार फिजी में हो रहा है। इससे पहले फिजी के उप प्रधानमंत्री बिमन चंद प्रसाद ने कहा है कि अब से फिजी की संसद में भी हिंदी बोली जा सकेगी। उन्होंने कहा कि पिछले 8 से 10 सालों में हिंदी के प्रचार प्रसार में धीमापन आया था।
हिंदी को उतनी प्राथमिकता नहीं दी जा रही थी जितना होना चाहिए था लेकिन ये जो हिंदी सम्मेलन है वो इसे फिर से उठाएगा। हमारी जो नई सरकार है उसने पिछले दो हफ्ते पहले ही एक विशेष निर्णय लिया है कि संसद में भी अब हिंदी का इस्तेमाल कर सकते हैं। पिछली सरकार ने हिंदी और आदिवासी भाषा पर संसद में बोलने से प्रतिबंधित कर दिया था लेकिन हमारी सरकार ने इसे बदल दिया।
332 द्वीपों वाले फिजी के नांदी में बुधवार से प्रस्तावित 12वें विश्व हिंदी सम्मेलन से पहले हिंदी की अवध से फिजी तक की यात्रा संघर्ष के कई दौर एवं पड़ावों से होकर गुजरी है। फिजी में भारतवंशियों ने हिंदी की नई शैली विकसित की है, जो अवधी, भोजपुरी, फिजियन और अंग्रेजी के शब्दों का सम्मिश्रण है। व्याकरण का ज्यादा बंधन नहीं है। स्कूलों में हिंदी की पढ़ाई होती है। विश्वविद्यालय में भी भाषा के रूप में पढ़ाई जाती है। गिरमिटियों के मातृभाषा प्रेम के कारण फिजी में हिंदी रचना कर्म को बढ़ावा मिला है। सुब्रमनी का डउका पुरान और फिजी मां चर्चित कृति है। फिजी रेडियो एवं दूरदर्शन पर सबसे ज्यादा हिंदी के कार्यक्रम ही देखे जाते हैं।
विश्व हिंदी सम्मेलन से हफ्ते भर पहले भारत की यात्रा पर आए फिजी के उप प्रधानमंत्री बिमान प्रसाद ने बताया कि फिजी में हिंदी का अतीत सुंदर रहा है। उप प्रधानमंत्री बिमन चंद प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में फिजी का दौरा किया था। उस दौरे के दौरान उन्होंने फिजी और भारत के बीच रिश्ते में भी नई उमंग भर दी थी। पिछले कई सालों में भारत में कितनी प्रगति हुई है ये हम सभी ने देखा है। पूरे विश्व में उनकी लीडरशिप की लोग वाह-वाही करते हैं। फिजी में उनके हजारों फैन्स हैं। अगर वो फिर से फिजी का दौरा करेंगे तो उनका विशेष स्वागत रहेगा।