नई दिल्ली, 2 जनवरी। मोदी सरकार द्वारा वर्ष 2016 में देश में लागू की गई नोटबंदी के फैसले को आज सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है। नोटबंदी को गतल और त्रुतिपुर्ण बताने वाली 3 दर्जन से ज्यादा याचिकाओं को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि केंद्र के इस निर्णय में कुछ भी गलत नहीं था। शीर्ष न्यायालय ने कहा कि ये फैसला RBI की सहमति और गहन चर्चा के बाद लिया गया है। इस बीच कोर्ट ने इस फैसले में कई बड़ी टिप्पणियां भी की।
आइए जानें नोटबंदी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 10 बड़ी बातें..
सुप्रीम कोर्ट ने आज नोटबंदी के खिलाफ 58 याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए कहा कि ये निर्णय एकदम सही था। कोर्ट ने इसी के साथ सभी याचिकाओं को खारिज भी कर दिया।
कोर्ट ने 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को अमान्य करने के केंद्र के फैसले पर कहा कि सरकार ने RBI से गहन चर्चा के बाद ही कोई निर्णय लिया और केंद्रीय बैंक के पास नोटबंदी करने की कोई शक्ति नहीं है।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि सरकार की आर्थिक नीति होने के कारण निर्णय को पलटा नहीं जा सकता है।
इस बीच फैसले में मतभेद भी दिखा, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना ने आरबीआई अधिनियम की धारा 26 (2) के तहत केंद्र की शक्तियों के बिंदु पर न्यायमूर्ति बी आर गवई के फैसले से अलग मत रखते हुए असहमति जताई।
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना ने असहमतिपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि नोटबंदी को संसद से एक अधिनियम के माध्यम से लानी चाहिए थी, न कि सरकार द्वारा।
कोर्ट ने इसी के साथ कहा कि 8 नवंबर, 2016 को लाई गई नोटबंदी की अधिसूचना वैध थी और नोटों को बदलने के लिए दिया गया 52 दिनों का समय भी एकदम उचित था।
कोर्ट ने 2022 में 7 दिसंबर को सरकार और याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
बता दें कि नोटबंदी के खिलाफ कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने भी याचिका दायर की थी, याचिका में कहा गया था कि केंद्र का यह फैसला गलत और त्रुतिपुर्ण है।
नोटबंदी को सरकार ने ‘सुविचारित’ निर्णय और नकली धन, आतंकवाद के वित्तपोषण, काले धन और कर चोरी के खतरे से निपटने के लिए एक बड़ी रणनीति का हिस्सा बताया था।
सुनवाई के दौरान सरकार की बात रखते हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा था कि नोटबंदी एक ऐसी आर्थिक नीति है जो कई बुराइयों को दूर करने के लिए बनाई गई।