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लोकसभा में दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक 2022 पारित, अमित शाह ने दिल्ली सरकार पर लगाया सौतेले व्यवहार का आरोप

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नई दिल्ली, 30 मार्च। लोकसभा ने बुधवार को दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक 2022 पारित कर दिया। इसके पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एमसीडी एकीकरण बिल को चर्चा और पारित होने के लिए सदन में रखते हुए दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार पर आरोप लगाया कि वह राजधानी के तीनों नगर निगमों (एमसीडी) के साथ सौतेला व्यवहार करती रही है। उन्होंने कहा कि  तीनों निगमों की नीतियों व संसाधनों में विसंगतियों को दूर करने के लिए ही केंद्र सरकार इनके एकीकरण के लिए विधेयक लेकर आई।

तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने किन कारणों से विभाजन किया, यह समझ से परे

अमित शाह ने विधेयक पर चर्चा के दौरान यह भी कहा कि 10 वर्ष पहले दिल्ली नगर निगम को ‘आनन-फानन’ में तीन निगमों में विभाजित करने के पीछे तत्कालीन कांग्रेस सरकार की मंशा अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि 10 वर्ष पहले दिल्ली नगर निगम को तीन निगमों – उत्तर, दक्षिण और पूर्वी नगर निगमों में बांटा गया तो इस फैसले के पीछे की मंशा अभी तक स्पष्ट नहीं हुई है।

शाह ने कहा, ‘मैंने फाइलें खंगालीं, लेकिन आनन-फानन में किए गए बंटवारे की तत्कालीन सरकार की मंशा के बारे में कुछ पता नहीं चला। कोई स्पष्ट कारण नजर नहीं आया। मेरे पास इसका कोई प्रमाण भी नहीं है कि क्या मंशा रही होगी। कारण स्पष्ट नहीं होने से लगता है कि इसका राजनीतिक मकसद रहा होगा।’

गृह मंत्री शाह ने कहा कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है, यहां राष्ट्रपति भवन है, संसद है, अनेक दूतावास हैं और इसलिए अनेक बैठकें भी होती हैं तथा राजधानी में अनेक राष्ट्राध्यक्ष भी आते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए जरूरी है कि नागरिक सेवाओं की जिम्मेदारी तीनों निगम ठीक से उठाएं।

एक ही शहर के तीन निगम अलग-अलग नीतियों से चलते हैं

उन्होंने कहा कि तीनों निगमों के 10 साल तक अलग-अलग होकर परिचालित होने के बाद यह पता चला है कि तीनों में नीतियों को लेकर एकरूपता नहीं है। एक ही शहर के तीन निगम अलग-अलग नीतियों से चलते हैं। कर्मियों की सेवा शर्तों में भी एकरूपता नहीं है और इन विसंगतियों के कारण कर्मियों में भी असंतोष नजर आया। उन्होंने दावा किया कि विभाजन के समय संसाधनों और दायित्वों का विभाजन सोच-विचार कर नहीं किया गया।

निगमों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही दिल्ली सरकार

अमित शाह ने कहा कि संसाधनों की दृष्टि से एक निगम हमेशा आगे रहेगा, वहीं बाकी दो की जवाबदेही ज्यादा होगी। इस तरह की अनेक परिस्थितियों से निगमों में चुनकर पहुंचने वाले लोगों को कामकाज में परेशानी होती है। उन्होंने कहा, ‘मैं जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं कि दिल्ली सरकार निगमों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। इसके कारण तीनों निगम अपने दायित्वों का निर्वहन करने के लिए पर्याप्त संसाधनों से लैस नहीं हो पा रहे।’

उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा लाए गए संशोधन विधेयक में तीनों निगमों को एक करने का प्रावधान है क्योंकि संसाधन और सहकारितावादी दृष्टि से एक ही निगम पूरी दिल्ली की नागरिक सेवाओं का ध्यान रखेगा तो उचित होगा।

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