नई दिल्ली, 22 दिसम्बर। दिल्ली हाई कोर्ट ने चुनावी सभाओं के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को लेकर ‘पनौती’ और ‘जेबकतरा’ जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान हाई कोर्ट ने कहा कि इस तरह के बयान अभद्र हो सकते हैं, लेकिन ऐसी कोई काररवाई के लिए उन लोगों को शिकायत दर्ज करानी होगी, जिनके खिलाफ बयान दिए गए हैं।
चुनाव आयोग को इस मसले पर 8 हफ्ते में फैसला करने का निर्देश
हाई कोर्ट के कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने निर्वाचन आयोग को वकील भरत नागर की ओर से दाखिल याचिका के बाद इस मामले पर आठ हफ्ते में फैसला करने का निर्देश दिया है।
‘ऐसे बयानों पर मतदान के जरिए जनता जवाब देती है‘
याचिका में मांग की गई है कि चुनावी सभाओं के दौरान इस तरह के झूठे, विषैले बयानों पर रोक लगाने के लिए कोर्ट अपनी ओर से भी दिशा-निर्देश तय करें। कोर्ट ने इस पर कहा कि ऐसे बयानों पर मतदान के जरिए जनता जवाब देती है। फिर इस तरह के बयानों को रोकने के लिए कोई कानून लाना है तो यह संसद का काम है, कोर्ट इसमें दखल नहीं देगा।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील आदिश अग्रवाल और कीर्ति उप्पल ने कहा कि ऐसे भाषणों के खिलाफ कड़े कानून और दिशा-निर्देश की जरूरत है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग ने महज नोटिस दी क्योंकि उसके पास ऐसे भाषणों से निबटने के लिए अधिकार नहीं है।
कीर्ति उप्पल ने कहा कि बयान प्रधानमंत्री को लेकर था और प्रधानमंत्री का पद संवैधानिक होता है। इस पर कार्यकारी चीफ जस्टिस ने कहा कि इस तरह के बयान अभद्र हो सकते हैं, लेकिन ऐसी कोई काररवाई के लिए उन लोगों को शिकायत दर्ज करानी होगी, जिनके खिलाफ ऐसे बयान दिए गए हैं।