नई दिल्ली, 30 अगस्त। दिल्ली उच्च न्यायालय ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के नेता ओएमए सलाम को इस प्रतिबंधित संगठन और इसके सदस्यों के खिलाफ आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत दर्ज एक मामले में अंतरिम जमानत देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति एम प्रतिभा सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने दो हफ्ते की रिहाई देने के अनुरोध वाली सलाम की याचिका खारिज कर दी और कहा कि अंतरिम जमानत देने का कोई मामला नहीं बनता है। पीठ ने कहा कि मौजूदा याचिका खारिज की जाती है। सलाम ने यह कहते हुए दो हफ्ते की अंतरिम जमानत देने की गुहार लगाई थी कि उसकी बेटी की अप्रैल में मौत हो गई थी और उसकी पत्नी अब “अवसाद की अवस्था” में है।
पीएफआई के अध्यक्ष सलाम को 2022 में प्रतिबंधित संगठन के खिलाफ देशभर में व्यापक कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किया गया था। राष्ट्रीय अभिकरण एजेंसी (एनआईए) का आरोप है कि पीएफआई, उसके पदाधिकारियों और सदस्यों ने देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने के वास्ते एक आपराधिक साजिश रची।
एनआईए का यह भी आरोप है कि पीएफआई और उसके पदाधिकारियों ने आतंकवादी कृत्यों के लिए अपने कैडर को प्रशिक्षित करने के वास्ते कई शिविर लगाए। भारत सरकार ने 28 सितंबर 2022 को पीएफआई और उसके कई सहयोगी संगठनों पर आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकवादी समूहों के साथ संबंध रखने का आरोप लगाते हुए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया था।