नई दिल्ली, 24 दिसम्बर। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उस आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिसमें राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के संघ को क्लैट-2025 परीक्षा की उत्तर कुंजी में त्रुटियां होने पर परिणाम संशोधित करने का निर्देश दिया गया था।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विभु बाखरू और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के निर्णय के विरुद्ध संघ द्वारा की गई अपील पर विचार करते हुए कहा कि अंतरिम आदेश के लिए कोई मामला नहीं बनता। पीठ ने प्रथम दृष्टया दो प्रश्नों के संबंध में एकल न्यायाधीश द्वारा लिए गए दृष्टिकोण में कोई त्रुटि नहीं पाई और स्पष्ट किया कि संघ एकल न्यायाधीश के निर्णय के अनुसार परिणाम घोषित करने के लिए स्वतंत्र है।
अदालत ने कहा, ‘‘एकल न्यायाधीश ने दो प्रश्नों का सावधानीपूर्वक अध्ययन किया… प्रथम दृष्टया हम उक्त दृष्टिकोण से सहमत हैं।’’ उसने कहा, ‘‘आप परिणाम के साथ आगे बढ़ सकते हैं। कोई अंतरिम आदेश नहीं है।’’ अदालत ने मामले की अगली सुनवाई की तारीख 7 जनवरी, 2025 तय की है।
एकल न्यायाधीश ने 20 दिसंबर को संयुक्त विधि प्रवेश परीक्षा (क्लैट) के एक अभ्यर्थी की याचिका पर अपना फैसला सुनाया था और प्रवेश परीक्षा में दो प्रश्नों के उत्तर गलत बताए थे। याचिका में सात दिसंबर को संघ द्वारा प्रकाशित उत्तर कुंजी को चुनौती दी गई थी और कुछ प्रश्नों के सही उत्तरों की घोषणा के लिए निर्देश देने की अपील की गई थी। एकल न्यायाधीश ने कहा कि त्रुटियां ‘स्पष्ट तौर पर दिख रही’ थीं और ‘उन पर आंखें मूंद लेना’ अन्याय करने के समान होगा।