नई दिल्ली, 8 नवम्बर। दिल्ली हाई कोर्ट ने हत्या और टेरर फंडिंग मामले में दोषी यासिन मलिक को दिल्ली एम्स या कश्मीर में तुरंत चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराए जाने की मांग पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को केंद्रीय जांच एजेंसी (NIA) को नोटिस जारी की है। जस्टिस अनूप कुमार मेंहदीरत्ता ने यासिन मलिक की मेडिकल स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। मामले की अगली सुनवाई अब 11 नवम्बर को होगी।
यासिन मलिक 1 नवम्बर से जेल में भूख हड़ताल पर
हाई कोर्ट ने जेल अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि यासिन मलिक को जरूरी चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराएं। यासिन गत एक नवम्बर से जेल में भूख हड़ताल पर है। सुनवाई के दौरान यासिन मलिक की ओर से पेश वकील ने कहा कि भूख हड़ताल की वजह से याचिकाकर्ता की तबीयत खराब हो गई है। यहां तक कि वह अपने पैरों पर भी खड़े नहीं हो पा रहे। याचिकाकर्ता को स्ट्रेचर पर रखा गया है। याचिकाकर्ता के जीवन और मौत के बीच फासला कम है।
पटियाला हाउस कोर्ट ने 25 मई, 2022 को सुनाई थी उम्र कैद की सजा
गौरतलब है कि पटियाला हाउस कोर्ट ने 25 मई, 2022 को हत्या और टेरर फंडिंग मामले में दोषी करार दिए गए यासिन मलिक को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने यासिन मलिक पर यूएपीए की धारा 17 के तहत उम्रकैद और दस लाख रुपये का जुर्माना, धारा 18 के तहत दस साल की कैद और दस हजार रुपये का जुर्माना, धारा 20 के तहत दस वर्ष की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना, धारा 38 और 39 के तहत पांच साल की सजा और पांच हजार रुपये का जुर्माना, भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी के तहत दस वर्ष की सजा और दस हजार रुपये का जुर्माना तथा धारा 121ए के तहत 10 साल की सजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।
एनआईए ने मलिक की फांसी की मांग की है
पटियाला हाउस कोर्ट ने यह भी कहा था कि यासिन मलिक को मिली ये सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी। हालांकि कोर्ट के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती देते हुए एनआईए ने यासिन मलिक की फांसी की सजा की मांग की है। ये याचिका अभी हाई कोर्ट में लंबित है।
यासिन मलिक ने 10 मई, 2022 को अपना गुनाह कबूल कर लिया था। 16 मार्च, 2022 को कोर्ट ने हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताफ अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था।
एनआईए के अनुसार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया। 1993 में अलगवावादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई थी।