नई दिल्ली, 25 सितम्बर। दिल्ली हाई कोर्ट ने ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) को हर्जाने की मांग वाली याचिका पर सोमवार को एक नई नोटिस जारी की, जिसमें दावा किया गया कि बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ देश की प्रतिष्ठा पर कलंक लगाती है। गुजरात स्थित एनजीओ जस्टिस ऑन ट्रायल की ओर से दायर याचिका पर बीबीसी (यूके) और बीबीसी (भारत) को नोटिस जारी की गई थी।
पहले ही नोटिस को तामील नहीं कराया जा सका था
एनजीओ के वकील ने उच्च न्यायालय को सूचित किया कि इससे पहले भी बीबीसी (यूके) और बीबीसी (भारत) को नोटिस जारी की गई थी, लेकिन उन्हें तामील नहीं कराया जा सका। एनजीओ का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील सिद्धार्थ शर्मा ने प्रतिवादियों को नोटिस देने के लिए और समय मांगा। उच्च न्यायालय ने आदेश दिया, ‘प्रतिवादियों को सभी स्वीकार्य तरीकों से नए सिरे से नोटिस जारी करें।’ मामले को 15 दिसम्बर को अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
उल्लेखनीय है कि गत 22 मई को दिल्ली उच्च न्यायालय ने उस याचिका पर प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि बीबीसी (यूके) यूनाइटेड किंगडम का राष्ट्रीय प्रसारक है और उसने समाचार वृत्तचित्र – ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ जारी किया है। दो एपिसोड और बीबीसी (भारत) इसका स्थानीय परिचालन कार्यालय है।
याचिका में यह भी उल्लेख किया गया है कि दो एपिसोड जनवरी, 2023 में प्रकाशित हुए थे। याचिका में दावा किया गया कि प्रतिवादी के ‘अपमानजनक’ बयानों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारत सरकार, गुरजरात एवं देश के लोगों की प्रतिष्ठा को गंभीर और अपूरणीय क्षति पहुंचाई है।