नई दिल्ली, 31 मई। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निकट सहयोगी बिभव कुमार की कथित संलिप्तता वाले मारपीट मामले में राज्यसभा सदस्य स्वाति मालीवाल का नाम प्रसारित करने से मीडिया को रोकने के लिए जनहित याचिका दायर करने वाले वकील पर शुक्रवार को नाराजगी जाहिर की।
उच्च न्यायालय ने कहा कि यह याचिका केवल ‘‘प्रचार’’ के लिए दायर की गई और इसमें ‘‘राजनीतिक रंग’’ दिखाई दे रहा है। न्यायालय ने कहा कि जब ‘‘पीड़िता’’ (मालीवाल) खुद सामने आकर कथित घटना के बारे में बात कर रही है तो याचिकाकर्ता को क्या समस्या है, जो एक तीसरा पक्ष है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पी. एस. अरोड़ा की पीठ ने कहा, ‘‘जब पीड़िता स्वयं इस बारे में बात करना चाहती है तो कुछ कहने वाले आप कौन होते हैं। पीड़िता शिकायत नहीं कर रही, बल्कि आप शिकायत कर रहे हैं। इसमें तीसरे पक्ष की क्या भूमिका है?
पीड़िता इस बारे में खुलकर सामने आ रही है। यह बहुत स्पष्ट है कि आपका नजरिया धुंधला है और इसमें कोई और रंग है। आप पीड़िता की शर्मिंदगी की बात नहीं कर रहे।’’ उसने कहा, ‘‘अगर पीड़िता टेलीविजन चैनलों पर बात कर रही है तो जनहित याचिका दायर करने वाले आप कौन होते हैं।’’ उसने कहा, ‘‘इस जनहित याचिका के पीछे कोई राजनीतिक रंग है।’’
अदालत अधिवक्ता एस पाल सिंह की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें मालीवाल से मारपीट के मामले में मीडिया द्वारा पीड़िता की पहचान उजागर करने पर रोक लगाए जाने तथा उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया था, जिन्होंने प्राथमिकी की विषय-वस्तु के साथ पीड़िता की पहचान जानबूझकर उजागर की।
पीठ ने वकील को चेतावनी दी कि उनके खिलाफ ‘विधिज्ञ परिषद’ में शिकायत दर्ज कराई जाएगी। उसने कहा कि याचिका पर्याप्त शोध किए बिना दायर की गई। पीठ ने कहा, ‘‘आप यह सब प्रचार के लिए कर रहे हैं। ‘दिल्ली विधिज्ञ परिषद’ में शिकायत की जानी चाहिए। आप जो कर रहे हैं वह उचित नहीं है।’’
इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने की छूट मांगी। उच्च न्यायलय ने कहा, ‘‘कुछ दलीलें पेश करने के बाद याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने की इच्छा जताई। याचिका वापस लिए जाने के कारण खारिज की जाती है।’’ बिभव कुमार इस महीने की शुरुआत में मुख्यमंत्री आवास पर मालीवाल पर कथित रूप से हमला करने के मामले में हिरासत में हैं।