नई दिल्ली, 30 दिसम्बर। दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए शुक्रवार को निर्माण कार्य और तोड़फोड़ से संबंधित गतिविधियों पर रोक लगा दी है। केजरीवाल सरकार ने दोबारा यह फैसला लिया है। इससे पहले गत 22 नवम्बर से यह रोक हटा ली गई थी।
दरअसल, राष्ट्रीय राजधानी में सर्दियों के बढ़ने के साथ ही वायु प्रदूषण की समस्या भी तेजी से बढ़ रही है, जिससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली सरकार ने वायु गुणवत्ता को बिगड़ने से रोकने के लिए निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया है।
केंद्र के वायु गुणवत्ता पैनल ने प्रदूषण विरोधी योजना के चरण 3 को लागू किया
बिगड़ते वायु प्रदूषण के मद्देनजर, केंद्र के वायु गुणवत्ता पैनल ने शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण विरोधी योजना के चरण 3 को लागू किया है। ग्रेडेड एक्शन रिस्पांस प्लान के चरण 3 के तहत लगाए गए प्रतिबंध हवा की गुणवत्ता को बिगड़ने से रोकने के लिए निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाते हैं।
जीआरएपी पर उप-समिति ने शुक्रवार को एक समीक्षा बैठक में कहा कि शांत हवाओं और स्थिर वायुमंडलीय स्थितियों के कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) के गंभीर श्रेणी में आने की संभावना है। पैनल ने दिल्ली-एनसीआर में अधिकारियों को प्रदूषण विरोधी योजना के चरण 3 के तहत तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया।
जीआरएपी के अनुसार, यदि वायु गुणवत्ता सूचकांक के गंभीर श्रेणी में पहुंचने का अनुमान है, तो चरण III के तहत प्रतिबंधात्मक काररवाइयां कम से कम तीन दिन पहले शुरू की जानी चाहिए। स्टेज 3 के तहत प्रतिबंधों में दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में गैर-जरूरी निर्माण और विध्वंस पर प्रतिबंध, सभी स्टोन क्रशर और खनन गतिविधियों को बंद करना शामिल है।
क्षेत्र की वायु गुणवत्ता और मौसम विभाग द्वारा पूर्वानुमान की भी समीक्षा
बैठक में समिति ने क्षेत्र की वायु गुणवत्ता और मौसम विभाग द्वारा पूर्वानुमान की भी समीक्षा की। प्रतिबंध उन औद्योगिक कार्यों पर भी लगे हैं, जो ईंधन पर नहीं चल रहे हैं। पैनल के अनुसार, राज्य सरकारें पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों पर भी प्रतिबंध लगा सकती हैं। विशेष रूप से, पिछले सप्ताह के शुरू में, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ‘रीयल-टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट प्रोजेक्ट’ की प्रगति की समीक्षा की थी और कहा था कि वास्तविक समय के आधार पर वायु प्रदूषण के स्रोतों की पहचान अब राष्ट्रीय राजधानी में शुरू हो गई है।