लखनऊ, 14 नवंबर। दिल्ली के लाल किले के पास हुए ब्लास्ट के बाद एंटी टेरर स्कॉड ने राजधानी लखनऊ स्थित इंटीग्रल यूनिवर्सिटी प्रशासन से 60 छात्र-छात्राओं की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इसी यूनिवर्सिटी में डॉ. शाहीन का भाई डॉ. परवे पढ़ाया करता था, जिसने दिल्ली धमाके से ठीक 3 दिन पहले रिजाइन कर दिया था। डॉ परवेज़, डॉ शाहीन का सगा भाई है। इसीलिए एटीएस पूरे मामले की पड़ताल करना चाहती है। मंगलवार को एटीएस ने जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्रचार डॉ संजय कला से पूछताछ कर तमाम दस्तावेजों को खंगाला।
एटीएस ने शाहीन के करीबी बताए जा रहे डॉ मोहम्मद आरिफ को उनके कानपुर स्थित आवास से हिरासत में लिया है। जांच व सुरक्षा एजेंसियां अब उनसे हर एक पहलू की गहनता से पूछताछ कर रही हैं। मोहम्मद आरिफ ने कानपुर के हृदय रोग संस्थान में बीते 3 महीने पहले ही ज्वाइन किया था। अब ऐसे में जब उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े ह्रुदयरोग संस्थान से उनका जुड़ाव सामने आया है। इसके बाद संस्थान के डायरेक्टर राकेश वर्मा ने एक बड़ी कवायत करते हुए सभी डॉक्टरों के वेरिफिकेशन का फैसला लिया है।
तीन तरह का वेरिफिकेशन जरूरी
कार्डियोलॉजी निदेशक डॉ राकेश कुमार वर्मा ने बताया कि इस ह्रदयरोग संस्थान में जितने भी डॉक्टर कार्यरत हैं, उन्हें अब डॉक्टरी पेशे के सम्मान को बचाने के लिए तीन तरह के वेरिफिकेशन प्रोसेस से गुजरना होगा। संस्थान में डॉ.मोहम्मद आरिफ फर्स्ट ईयर डीएम स्टूडेंट के तौर पर वर्ष 2025 अगस्त के महीने से कार्यरत था। उन्होंने बताया कि हम सबकी नजर में तो डॉ मोहम्मद आरिफ एक होनहार छात्र था, उनका स्वभाव भी काफी ज्यादा अच्छा था। मोहम्मद आरिफ का ऑल इंडिया सिलेक्शन के तहत चयन हुआ था, सबसे पहले उनका सिलेक्शन संजय गांधी में हुआ था और उसके बाद उन्होंने अपग्रेडेशन के लिए अप्लाई किया था। इसके बाद उनका चयन कानपुर के हृदय रोग संस्थान में हुआ था।
ईमानदारी से अपना काम करता था आरिफ
आरिफ लगातार यहां पर अपने काम को बड़े ही ईमानदारी के साथ कर रहे थे, लेकिन उनके निजी जीवन में क्या चल रहा था। इसकी पुष्टि मैं नहीं कर सकता। ये देश की जांच और सुरक्षा एजेंसियां अपना काम बखूबी से कर रही हैं। फिलहाल ह्रदयरोग संस्थान के साथ किसी जांच एजेंसी ने अब तक कोई सम्पर्क नहीं किया है। यदि एजेंसियां किसी तरह का संदेह होने पर पूछताछ करती हैं तो उनका संस्थान उनके साथ सहयोग करेगा।
कैसे होता है चयन?
ह्रदयरोग संस्थान के निदेशक राकेश वर्मा ने आगे बताया कि एडमिशन प्रक्रिया मेडिकल कॉलेज के डीन पूरी करते हैं। छात्रों का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन भी मेडिकल कॉलेज का डीन ही देखता है। यह पूरा काम जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में होता है। हमारे यहां पर सिर्फ शिक्षण और प्रशिक्षण का काम किया जाता है, लेकिन अब जो यह घटना हुई है। हम इससे एक बड़ा सबक लेंगे और हम अब एक बड़ी पहल करेंगे। हमारे यहां पर जितने भी डॉक्टर कार्यरत थे हम उनके वेरिफिकेशन को लेकर एक टीम गठित करेंगे। जो उनसे जुड़ी हर एक जानकारी को बारीकी से परखेंगे। इसके अलावा हम उनके पुलिस वेरिफिकेशन के साथ और जो भी जांच का दायरा होता है, उसे पूरा करेंगे जिससे देश के डॉक्टर्स की साख पर कोई सवाल न उठे और संदिग्ध विचारधारा वाले कथित डॉक्टर्स अपनी सही जगह पर हों।
संस्थान में जम्मू कश्मीर के 5 छात्र
डायरेक्टर राकेश वर्मा ने बताया कि, हमारे यहां पर जम्मू कश्मीर के ऐसे पांच डॉक्टर कार्यरत हैं, जिनका हम अब तत्काल वेरिफिकेशन कराएंगे। उन्हें जांच के हर एक दायरे से गुजरना होगा और कुछ भी अगर ऐसा संदिग्ध हमें लगता है या पाया जाता है तो हम तत्काल इसकी सूचना स्थानीय पुलिस को देंगे।

