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फीफा विश्व कप : अर्जेंटीना के खिलाफ खिताब की रक्षा करने उतरेगा गत चैंपियन फ्रांस, सेमीफाइनल में मोरक्को का सपना टूटा

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दोहा, 15 दिसम्बर। दुनिया की 36 चुनिंदा टीमों के बीच पिछले माह शुरू हुई श्रेष्ठता की जंग अंततः अंतिम पायदान पर जा पहुंची, जहां तीन दिन बाद 18 दिसम्बर को यह फैसला हो जाएगा कि लिओनेल मेसी के अर्जेंटीना और किलियन एम्बापे के फ्रांस में कौन विश्व फुटबाल का सरताज है। कहने का तात्पर्य यह कि गत चैंपियन फ्रांस बीती रात मोरक्को का सपना तोड़ते हुए 2-0 की जीत से लगातार दूसरी बार और कुल चौथी बार फीफा विश्व कप फुटबॉल टूर्नामेंट के फाइनल में जा पहुंचा है, जहां उसकी टक्कर अल दाएन शहर के लुसैल स्टेडियम में लैटिन अमेरिकी पावर हाउस अर्जेंटीना से होगी, जो 26 वर्षों से अपने तीसरे विश्व कप का इंतजार कर रहा है।

एम्बापे ने फ्रांस के दोनों गोलों में निभाई सूत्रधार की भूमिका

अल खोर शहर के अल बाएत स्टेडियम की दर्शक दीर्घा में मौजूद राष्ट्रपति एमैन्युएल मैक्रों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, जब पांचवें मिनट में ही थियो हर्नांडिज ने फ्रांस का खाता खोल दिया। उसके बाद 79वें मिनट में स्थानापन्न रेंडल कोलो मुआनी ने टीम की बढ़त दोगुनी कर दी। दिलचस्प तो यह रहा कि दोनों गोलों में एम्बावे ने सूत्रधार की भूमिका निभाई।

फीफा विश्व कप में फ्रांस व अर्जेंटीना की दूसरी मुलाकात

वर्ष 1998 व 2018 के चैंपियन फ्रांस की खुद की भांति दो बार के विजेता (1978 व 1986) अर्जेंटीना से फीफा विश्व कप में सिर्फ दूसरी टक्कर होगी। इसके पूर्व दोनों की मुलाकात पिछले विश्व कप (2018) के पूर्व क्वार्टर फाइनल में हुई थी, जब फ्रांस ने 4-3 से जीत हासिल की थी। उस जीत में एम्बापे ने दो गोल किए थे, जिनके पास 35 वर्षीय मेसी की टीम के खिलाफ चमत्कारिक प्रदर्शन कर फुटबॉल के महानतम खिलाड़ियों में अपना नाम दर्ज कराने का मौका होगा।

एम्बापे 2018 में रूस में फ्रांस की खिताबी जीत के बाद सुपरस्टार बनकर उभरे थे। पिछले 15 वर्षों से चले आ रहे मेसी और क्रिस्टियानो रोनाल्डो के दबदबे को उन्होंने चुनौती दी थी। उनके पास लगातार दो विश्व कप जीतने वाले पेले के करिश्मे को दोहराने का मौका होगा।

सच पूछें तो कई मायनों में यह ‘ड्रीम फाइनल’ है, जिसमें फ्रांस पिछले 60 वर्षों में ब्राजील (1958 व 1962) के बाद लगातार दूसरी बार खिताब जीतने वाला पहला देश बनना चाहेगा। वहीं अर्जेंटीनी टीम मेसी को उनके आखिरी विश्व कप का तोहफा खिताब के रूप में देने को लालायित होगी।

अफ्रीकी देश मोरक्को ने दुनियाभर के फुटबॉल प्रशंसकों के दिल जीते

मध्यपूर्व में पहली बार हो रहे विश्व कप फाइनल में अरब की कोई टीम नहीं बची है। लेकिन अफ्रीकी टीम मोरक्को ने ऐतिहासिक प्रदर्शन के सहारे यूरोपीय महाशक्तियों – स्पेन और पुर्तगाल को नॉकआउट चरण में हराया। इससे पहले क्रोएशिया और बेल्जियम जैसी टीमों के ग्रुप में मोरक्को शीर्ष पर रहा था। अपने प्रदर्शन से उसने दुनियाभर में करोड़ों फुटबॉलप्रेमियों के दिल जीते।

फ्रांस के गोलकीपर हुगो लोरिस ने कहा, ‘हमें अपनी पूरी ऊर्जा झोंकनी होगी उस टीम के खिलाफ, जिसके पास मेसी जैसा लीजैंड है।’ फ्रांस के कोच डिडिएर डेसचैंम्प्स ने कहा, ‘यह आसान नहीं था। हमने अपना हुनर, अनुभव, टीम भावना का प्रदर्शन किया।’

वहीं मोरक्को के कोच वालिद रेग्रागुइ ने कहा, ‘हम मोरक्को के लोगों के लिए निराश हैं। हम उनका सपना जीवित रखना चाहते थे। हम फाइनल में भी जा सकते थे, लेकिन हमें खुशी है कि हमने मोरक्को और अफ्रीकी फुटबॉल की साख बनाई।’

गोल्डन बूट के लिए भी मेसी और एम्बापे के बीच टक्कर

विश्व कप फाइनल में मुकाबला गोल्डन बूट के लिए भी होगा क्योंकि मेसी और एम्बापे दोनों के पांच-पांच गोल हैं। फाइनल के पहले 17 दिसम्बर को अर रायान शहर के खलीफा इंटरनेशनल स्टेडियम में मोरक्को की टीम तीसरे स्थान के लिए गत उपजेता क्रोएशिया से खेलेगी।