जौनपुर, 3 जनवरी। जौनपुर में 18 वर्ष पूर्व हुए श्रमजीवी एक्सप्रेस ट्रेन विस्फोट कांड में दो आतंकियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। आतंकी नफीकुल विश्वास और हेलालुद्दीन को बुधवार को जौनपुर के जिला एवं सत्र न्यायालय में कड़ी सुरक्षा के बीच पेश किया गया। अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) राजेश राय ने दोनों आंतकियों पर पांच-पांच लाख का जुर्माना भी लगाया।
दो अन्य आतंकियों को पहले ही दी जा चुकी है मौत की सजा
दोनों आतंकियों को अदालत ने गत 22 दिसम्बर को दोषी करार दिया था। इससे पहले भी दो अन्य आतंकियों – ओबैदुर्रहमान और आलमगीर को इसी तरह फांसी की सजा सुनाई जा चुकी है। कुल सात लोगों को मामले में आरोपित बनाया गया था। एक आतंकी की पहले ही मौत हो चुकी है। दो अन्य आतंकी अब तक गिरफ्तार नहीं हो सके हैं।
28 जुलाई, 2005 की घटना में 14 यात्री मारे गए थे, 62 लोग घायल हुए थे
उल्लेखनीय है कि राजगीर (बिहार) से चलकर नई दिल्ली जाने वाली श्रमजीवी एक्सप्रेस की जनरल बोगी में 28 जुलाई, 2005 की शाम 5.20 बजे सिंगरामऊ व हरिहरपुर स्टेशन के बीच हरपालगंज क्रासिंग पर आतंकवादियों ने बम विस्फोट किया था। विस्फोट में 14 लोगों की मौत व 62 लोग घायल हुए थे। मामले में 28 जुलाई, 2005 की रात 11.30 बजे ट्रेन के गार्ड जाफर अली ने जीआरपी थाने में मुकदमा दर्ज कराया था, जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की थी।
जांच के दौरान कुल 7 लोगों को आरोपित बनाया गया था
जांच के दौरान ओबैदुर्रहमान उर्फ बाबू भाई निवासी कलियानी जिला बगुरा बांग्लादेश, मो. आलमगीर उर्फ रोनी, नफीकुल विश्वास, सोहाग उर्फ हेलाल, शरीफ उर्फ कंचन उर्फ सैफुद्दीन, गुलाम पाजदानी उर्फ याहया व डॉ. सईद के नाम प्रकाश में आए। इसमें डॉ. सईद की मौत हो चुकी है और दो आरोपित पकड़ में नहीं आए।
रोनी ऊर्फ आलमगीर व ओबैदुर्रहमान उर्फ बाबू भाई को कोर्ट 2016 में फांसी की सजा सुना चुकी है। 22 दिसम्बर को हेलाल व नफीकुल विश्वास को दोषी करार दिया दिया गया था। सजा पर सुनवाई के लिए दो जनवरी की तिथि तय की गई थी। दो जनवरी सजा पर सुनवाई पूरी करते हुए कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था।