नई दिल्ली, 27 अक्टूबर। कतर ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को मौत की सजा दी है। भारत इस मामले को चुनौती भी देने वाला है। इस बीच विपक्षी पार्टियों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। उनका कहना है कि उन्होंने संसद में जब इस मुद्दे पर चर्चा की, तो सरकार ने इसे गंभीरता से नहीं लिया है। कांग्रेस, एआईएमआईएम समेत सभी दल इस पर सरकार को घेर रहे हैं। पिछले साल आठों भारतीयों को जासूसी से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया था।
एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सभी पूर्व कर्मियों को वापस लाना चाहिए। ओवैसी ने कहा, ‘अगस्त में मैंने कतर में फंसे नौसेना के पूर्व अधिकारियों का मुद्दा उठाया था। आज उन्हें मौत की सजा दी गई है। पीएम मोदी बड़ी-बड़ी बातें करते हैं कि इस्लामिक देश उनसे कितना प्यार करते हैं। उन्हें पूर्व अधिकारियों को वापस लाना चाहिए। ये बेहद ही दुर्भाग्य की बात है कि उन्हें मौत की सजा का सामना करना पड़ रहा है।’
- सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया हमारा अनुरोध
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी कहा है कि सरकार ने पूर्व कर्मियों के परिवार के सदस्यों, पूर्व सैनिक लीग और यहां तक कि सांसदों के अनुरोध को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया। उन्होंने कहा, ‘ये वो मुद्दा नहीं है, जहां हम ये कहें कि ‘उसने ये कहा, तो उसने ये बोला’। आठ बहुत ही ज्यादा सीनियर कर्मियों की जान दांव पर लगी हुई है।’
- रिहाई की की जाए कोशिश: कांग्रेस
कांग्रेस पार्टी की तरफ से एक बयान जारी कर इस मुद्दे पर अपनी राय रखी गई। कांग्रेस ने कहा, ‘कांग्रेस नौसेना के 8 पूर्व कर्मियों के मामले में कतर से आई जानकारी से काफी परेशान है। पार्टी को न सिर्फ उम्मीद है, बल्कि ये मानकर चल रही है कि भारत सरकार कतर के साथ अपने राजनयिक और राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करेगी, ताकि नौसेना के पूर्व कर्मियों को अपील का अधिकार मिले। साथ ही उन्हें जल्द से जल्द रिहा कराने की पूरी कोशिश की जाए।’