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प्रयागराज के डिप्टी सीएमओ का होटल में फंदे से लटकता मिला शव, जांच में जुटी पुलिस

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प्रयागराज, 24 अप्रैल। प्रयागराज के उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी (डिप्टी सीएमओ) सुनील कुमार सिंह का शव होटल के कमरे में फंदे से लटकती मिला। सोमवार की सुबह सबसे पहले जब होटल के कर्मचारियों ने फंदे पर लटकता हुआ शव देखा तो इसकी जानकारी मैनेजर को दी। मैनेजर ने पुलिस और प्रभारी सीएमओ को घटना की जानकरी दी। सूचना मिलने पर सीएमओ डॉ. अशोक कुमार समेत अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे।

प्राप्त जानकारी के अनुसार अगस्त, 2022 से यहां डिप्टी सीएमओ पद पर तैनात डॉ. सुनील कुमार सिंह सिविल लाइंस स्थित होटल विट्ठल में रहते थे। सोमवार की सुबह होटल के कमरे में उनका शव फंदे से लटकता मिला। घटना की जानकारी होने पर पूर्वाह्न करीब 10.30 बजे पुलिस मौके पर पहुंची। होटल के कमरा नंबर 106 के दरवाजे को मास्टर चाबी से ओपन किया गया। फॉरेंसिक टीम ने कमरे से साक्ष्य जुटाए।

डॉ. सुनील वाराणसी के पांडेयपुर के रहने वाले थे, पत्नी भी पेशे से डॉक्टर

गौरतलब है कि डॉ. सुनील कुमार सिंह मूल रूप से वाराणसी के पांडेयपुर के रहने वाले थे। वह संचारी रोग के नोडल अधिकारी थे और उनकी पत्नी भी पेशे से डॉक्टर हैं। शव की स्थिति को देखकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने अंदेशा जताया है कि यह सुसाइड नहीं, बल्कि हत्या है। फिलहाल पुलिस अधिकारी जांच में जुटे हैं। जानकारी होने पर मौके पर खुद प्रयागराज के डीएम संजय कुमार खत्री और पुलिस कमिश्नर रमित शर्मा पहुंच गए।

डीएम और पुलिस कमिश्नर ने मौके पर स्थिति का जायजा लिया। वहीं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के आरोपों पर पुलिस कमिश्नर ने जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है जबकि मृत डिप्टी सीएमओ के परिवार वालों को इसकी जानकारी दे दी गई है।

क्रिकेट मैचों के शौकीन थे डॉ. सुनील, आईपीएल में पैसा भी लगाते थे

प्राप्त जानकारी के अनुसार वाराणसी में घनश्याम सिंह डिग्री कालेज के प्रबंधक नागेश्वर सिंह के छोटे भाई डॉ. सुनील सिंह क्रिकेट मैचों के शैकीन थे और आईपीएल में पैस लगाते थे। इसमें पिछले कई वर्षों से उन्हें नुकसान हो रहा था। आईपीएल में पैसे का नुकसान होने पर एक बार वह अपहरण का झूठा नाटक कर कोलकाता चले गए थे। परिवार के लोग किसी प्रकार वहां से लाए थे। सूत्रों से जानकारी यह भी सामने आई कि गत दिनों डॉ. सुनील एक बड़ी रकम हार गए थे। 50 लाख रुपए देने के बाद मामला समाप्त हुआ था।