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गुजरात : सास को हराकर सरपंच बनी बहू, पूर्व भाजपा विधायक पर परिवार में फूट डालने का आरोप

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राजकोट, 22 दिसंबर। गुजरात में बीते रविवार को हुए पंचायत चुनाव के दौरान एक दिलचस्प परिणाम सामने आया है, जब गिर सोमनाथ जिले के डेलवाड़ा गांव की एक महिला अपनी सास को हराकर सरपंच बन गई। फिलहाल नवनिर्वाचित सरपंच पूजा बंभानिया के पति और दो बार के निर्वतमान सरपंच विजय ने परिवार में फूट डालने के लिए पूर्व भाजपा विधायक को दोषी ठहराया है।

पूजा ने अपनी सास जीवीबेन को 1,177 मतों से हराया

राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार गिर सोमनाथ जिले के उना तालुका के डेलवाड़ा ग्राम पंचायत में रविवार को मतदान हुआ था। डेलवाड़ा के 5,000 से अधिक निवासियों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। ग्राम सरपंच पद के लिए मुख्य मुकाबला पूजा बंभानिया और उनकी सास जीवीबेन बंभानिया के बीच था। मंगलवार को हुई मतगणना के बाद देर रात घोषित परिणामों में पूजा ने अपनी सास को 1,177 मतों से हराया।

सास, फिर पति और अब बहू संभालेगी सरपंची

दिलचस्प यह है कि पूजा अपने परिवार की तीसरी सदस्य हैं, जिन्होंने सरपंच का चुनाव जीता है। जीवीबेन के बेटे और पूजा के पति विजय निवर्तमान सरपंच हैं, जो इस पद पर दो कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। अब भाजपा कार्यकर्ता बन चुके विजय ने डेलवाड़ा ग्राम पंचायत के लिए 2011 का चुनाव जीता था और 2006 में सरपंच चुनी गई अपनी मां की जगह ली थी।

पूजा के पैनल ने सभी 16 चुनावी वार्डों में हासिल की जीत

पूजा और उनके पैनल ने ग्राम पंचायत के 16 वार्डों के लिए गमले के चिन्ह पर चुनाव लड़ा था और उल्लेखनीय यह रहा कि पूजा के उम्मीदवारों के पैनल ने ग्राम पंचायत के सभी 16 चुनावी वार्डों में जीत हासिल की।

इसे परिवार में राजनीतिक लड़ाई के रूप में नहीं देखती : पूजा

पूजा ने कहा, ‘मैं इसे अपने परिवार में राजनीतिक लड़ाई के रूप में नहीं देखती। केवल इसी चुनाव को सास-बहू के बीच लड़ाई होने की टैगलाइन दी गई थी। यह डेलवाड़ा के बाहर के असामाजिक तत्वों के खिलाफ लड़ाई थी, जो डेलवाड़ा के निवासियों को परेशान कर रहे थे, धमका रहे थे और डरा रहे थे।’

इस बीच विजय ने परिवार में दरार के लिए भाजपा के एक पूर्व विधायक को दोषी ठहराया और आरोप लगाया कि पूर्व विधायक ने ग्राम पंचायत चुनाव में उनकी मां का समर्थन किया था। उन्होंने कहा कि चुनाव में उनकी पत्नी और मां के बीच आमने-सामने की लड़ाई से परिवार को काफी दुख पहुंचा है।

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