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यूपी : 90 दिनों में 20 करोड़ रुपये की साइबर ठगी, कभी बिजली कर्मी बनकर तो कभी बैंक अधिकारी

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लखनऊ, 25 जून। कोरोना संक्रमण के दौरान लगी पाबंदियों के बाद से ऑनलाइन बैंकिंग सिस्टम पर निर्भरता बढ़ गई है। साइबर अपराधियों ने इसी का फायदा उठाया और तीन महीने के अंदर इन अपराधियों ने लोगों की मेहनत से कमाई के 20 करोड़ रुपये हड़प लिए। इस दौरान 130 मुकदमे भी दर्ज हुए।

ठगी होने के बाद लोग बैंक पहुंच कर ट्रांसफर हुए रुपयों को रुकवाने की कोशिश करते हैं। इस दौरान 24 घंटे से अधिक का समय निकल जाता है। इस बीच रुपये अंत में किस खाते में पहुंचे। इसे ट्रेस आउट करना आसान नहीं होता।

साइबर विशेषज्ञ के मुताबिक ठगी का पता चलते ही रिपोर्ट लिखा देनी चाहिए। साथ ही नेशनल पोर्टल www.cybercrime.gov.in और हेल्पलाइन 1930 पर भी शिकायत कर सकते हैं। समय पर की गई शिकायत से रुपये ट्रेस कर काररवाई करना आसान होता है।

बिजली कर्मी बन डाउनलोड कराते हैं एप

ठगी के नए तरीके में बिजली कर्मी होने का दावा कर लोगों को फोन किया जा रहा है। बिल अपडेट करने से लेकर पेमेंट नहीं करने पर बिजली सप्लाई बंद करने की धमकी दी जाती है। असुविधा से बचने के लिए रिमोट एक्सेस एप (एनी डेस्क या अन्य) डाउनलोड कराई जाती है। एप डाउनलोड होने के बाद ठग मोबाइल पर आसानी से पकड़ बना लेते हैं। ई-वॉलेट व बैंकिंग एप के जरिए रुपये एक खाते से दूसरे खाते में ट्रांसफर किए जाते हैं।

पीड़ितों ने एमवीवीएनएल और यूपीपीसीएल के अधिकारियों से भी शिकायत दर्ज कराई है। मुंशीपुलिया के एसडीओ अनूप कुमार ने उपभोक्ताओं की शिकायत के आधार पर साइबर सेल को पत्र भेज कर ठगी के तरीके के बारे में आगाह किया है। साथ ही उपभोक्ताओं से भी ऐसे लोगों से बचने की अपील की है। पुलिस अफसरों ने सोशल मीडिया पर इस तरह की ठगी के बारे में लोगों को अपडेट किया है।

जरा सी असावधानी

ठगों के लिए मौका: यूपी पुलिस के साइबर विशेषज्ञ राहुल मिश्र बताते हैं कि अधिकांश मामलों में डेबिट-क्रेडिट कार्ड से लेकर बैंक अकाउंट तक की डिटेल पीड़ित ही ठगों को उपलब्ध कराता है। जालसाज समय के साथ नए तरीके का इस्तेमाल करते हैं। मसलन मोबाइल केवाईसी अपडेट करने, बिजली बिल का पेमेंट,खाते की केवाईसी अपडेट करने, लकी ड्रा, क्रेडिट-डेबिट कार्ड पर कैशबैक या रिवार्ड प्वाइंट दिलाने आदि। इन तरकीबों का इस्तेमाल कर आसानी से चिह्नित व्यक्ति की डिटेल ठग हासिल कर लेते हैं।

ऑनलाइन ठगी के आम तरीके

– बैंक अधिकारी बन एटीएम कार्ड का पिन और ओटीपी पूछना
– लाटरी निकलने और मोबाइल केवाईसी अपडेट के नाम पर
– पीएम की तरफ चल रही योजना में लाभ दिलाने का झांसा देकर
– नामी कम्पनियों के प्रोडक्ट कम कीमत में बेचने का दावा कर
– नौकरी दिलाने का लालच देकर
– सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर सेक्सटार्शन
– मेट्रिमोनियल वेबसाइट से रिश्ता करने के नाम पर

ठगी का पता चलते ही रिपोर्ट दर्ज कराएं

– अनजान नंब से आए मैसेज के लिंक को ओपन कर उसमें निजी जानकारी न भरें
– बैंक से एसएमएस अलर्ट की सुविधा लें, ताकि ट्रांजेक्शन का समय पर पता चल सके।
– डेबिट-क्रेडिट कार्ड के सीवीवी नंबर किसी से साझा न करें।

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