लखनऊ, 3 मार्च। उत्तर प्रदेश की विधानसभा में शुक्रवार को ऐतिहासिक नजारा देखने को मिला, जब भाजपा विधायक सलिल विश्नोई के विशेषाधिकार हनन मामले में सदन को कोर्ट में तब्दील कर दिया गया। इस दौरान मामले के आरोपित छह पुलिसकर्मियों को कटघरा बनाकर सदन के सामने पेश किया गया।
संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने आरोपितों के कारावास का प्रस्ताव सदन के सामने रखा, जिस पर स्पीकर ने वोटिंग कराई। वोटिंग के दौरान सपा के विधायक सदन में मौजूद नहीं थे। बाकी बचे सदस्यों ने ध्वनिमत से प्रस्ताव को पारित करा दिया। मंत्री के प्रस्ताव से स्पीकर ने सहमति जताई और आरोपितों को एक दिन के कारावास की सजा सुनाई।
सभी आरोपितों ने बारी-बारी से सदन के सामने माफी भी मांगी। स्पीकर ने कहा कि कमिटी ने इनके निलंबन की काररवाई के लिए कहा था, लेकिन पुलिसकर्मियों के आचरण आदि को देखते हुए उन्हें एक दिन के कारावास की सजा दी जा रही है। पुलिसकर्मी सिर्फ आजभर के लिए सदन में ही बनी एक स्पेशल सेल में बंदी बनाए जाएंगे।
विधायिका का सम्मान बने रहना जरूरी : खन्ना
दरअसल, सदन को अदालत में तब्दील किए जाने के बाद संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना ने सभी आरोपितों के आरोप बताते हुए उन्हें एक दिन यानी आज रात 12 बजे तक कारावास की सजा दिए जाने का प्रस्ताव रखा था। सुरेश खन्ना ने इस दौरान कहा कि लोकतंत्र में विधायिका का सम्मान बने रहना जरूरी है।
लाखों की आबादी से चुने ये प्रतिनिधि जनता के हितों में काम करते हैं। उन्होंने कहा कि ये सच है कि अधिकारी लोग शासन के निर्देशों का पालन करते हैं लेकिन ये अधिकार नहीं मिल जाता कि ये लोग किसी को गाली दें, अपमानित करें या डंडा चलाएं। वहां पर ऐसी कोई स्थिति नहीं थी कि डंडा चलाया जाता। संवेदनशीलता जरूरी है।