वाराणसी, 23 जून। धार्मिक नगरी वाराणसी के लक्खी मेलों में शुमार रथयात्रा मेला कोरोना संकट को देखते हुए लगातार दूसरे वर्ष स्थगित कर दिया गया है। संक्रमण के कारण ही इस बार भी नाथों के नाथ भगवान जगन्नाथ शारीरिक दूरी के नियमों का पालन करेंगे। भगवान जगन्नाथ न तो भक्तों के हाथों स्नान करने सामने आएंगे और न ही भइया बलभद्र और बहन सुभद्रा संग विहार के लिए निकलेंगे।
प्रतीकात्मक रूप से होगी भगवान की जल यात्रा ट्रस्ट श्री जगन्नाथ जी के सचिव आलोक शापुरी ने बताया कि इस वर्ष भी भगवान जगन्नाथ की जल यात्रा असि स्थित जगन्नाथ मंदिर में गुरुवार, 24 जून को भोर में सवा पांच से रात्रि नौ बजे तक प्रतीकात्मक रूप से होगी। इस दौरान भक्तों का प्रवेश निषिद्ध रहेगा। उन्होंने जिलाधिकारी से मंदिर की सुरक्षा का अनुरोध किया है।
आलोक शापुरी ने बताया कि कोरोना संक्रमण के मद्देनजर प्रदेश सरकार के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए रथयात्रा चौराहे पर लगने वाला मेला स्थगित किया गया है।
गौररतलब है कि रथयात्रा मेला से ही काशी में पर्व-उत्सवों का आरंभ माना जाता है। इसका आधार उत्सव ज्येष्ठ पूर्णिमा पर भगवान जगन्नाथ को भक्तजन स्नान कराने के साथ करते हैं। लोकाचार के तहत इसके बाद प्रभु अस्वस्थ होते हैं और पखवारे भर के लिए विश्राम (क्वारंटीन) पर जाते हैं। इस दौरान उन्हें काढ़े का भोग लगाया जाता है।
पुरी पुराधीश्वर की रथयात्रा के विधान ज्येष्ठ पूर्णिमा पर शुरू होते हैं। इसी दिन प्रभु जगन्नाथ को भक्तगण गर्मी की तपिश से निजात दिलाने के लिए कलश यात्रा निकालते हुए स्नान कराते हैं। इसके साथ ही तीन दिनी लक्खी मेला की रस्म शुरू हो जाती है। इसके ठीक एक पखवारे बाद भगवान जगन्नाथ, भइया बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ मनफेर के लिए निकलते हैं और रथयात्रा महोत्सव आरंभ होता है।