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कोरोना संकट : प्लाज्मा थिरेपी के बाद अब रेमडेसिविर के उपयोग पर भी लग सकती है रोक

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नई दिल्ली, 19 मई। कोरोना महामारी से जूझ रहे भारत में संक्रमण से बचाव के लिहाज से नित नए अनुसंधान सामने आ रहे हैं। इस क्रम में पिछले कई महीनों के दौरान कोरोना संक्रमण से लड़ने में कारगर मानी जाने वाली प्लाज्मा थिरेपी गत सप्ताह भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की एडवाइजरी पर बंद की गई और अब इलाज प्रक्रिया से रेमडेसिविर इंजेक्शन को भी हटाने की तैयारी चल रही है।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली स्थित सर गंगाराम अस्पताल के चेयरपर्सन डॉ. डीएस राना ने बताया कि कोरोना ट्रीटमेंट से रेमडेसिविर को भी जल्द हटाने पर विचार चल रहा है। उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमित मरीजों पर इसके बेहतर प्रभाव को लेकर कोई सबूत सामने नहीं आए हैं, इसलिए इस दवा को कारगर नहीं माना जा सकता।

स्मरण रहे कि कोरोना संक्रमण की पहली लहर और अब व्याप्त दूसरे इसके स्ट्रेन के दौरान प्लाज्मा थिरेपी एवं रेमडेसिविर दोनों की मांग इतनी बढ़ गई थी कि केंद्र सहित कई राज्य सरकारों ने कोरोना संक्रमितों को प्लाज्मा डोनेट करने के लिए जागरूकता अभियान तक चलाया था।

यही हाल रेमडेसिविर का भी था और इस इंजेक्शन की कालाबाजारी होने लगी थी। अंततः केंद्र सरकार को इसकी कालाबाजारी रोकने के लिए जहां कड़े फैसले लेने पड़े वहीं संबंधित फार्मा कम्पनी को इसकी डिमांड पूरी करने के लिए उत्पादन बढ़ाने पर भी जोर देना पड़ा।

हालांकि बीते दिनों केंद्र सरकार ने यह बयान जारी किया था कि रेमडेसिविर कोरोना संक्रमण के इलाज में खास कारगर नहीं है, इसके बावजूद दवा की मांग पर इसका खास असर नहीं हुआ। सरकार ने फिर दवा की कालाबाजारी रोकने के लिए इसके उपयोग को लेकर नियम बनाए। साथ ही यह तय किया था कि अस्पतालों में इसका कैसे इस्तेमाल किया जाए। अब यह देखना होगा कि रेमडेसिविर की लगातार बढ़ती मांग पर इस नए बयान का क्या असर पड़ेगा।

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