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धर्मांतरण मामला : गिरफ्तार आरोपितों में पीएम मोदी से शाबाशी पाने वाला इरफान शेख भी शामिल

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लखनऊ, 30 जून। आतंकवाद निरोधी दस्ता (एटीएस) की उत्तर प्रदेश इकाई ने बीते दिनों पकड़ में आए धर्मांतरण रैकेट के जिन पांच सदस्यों की अब तक गिरफ्तारी की है, उनमें इरफान शेख भी शामिल है, जो कभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आवाज बन चुका है और उनके हाथों शाबाशी भी पा चुका है।

गौरतलब है कि यूपी एटीएस ने गत 20 जून को राज्य में एक धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश किया था, जिसपर पिछले दो वर्षों के दौरान कमजोर तबके की महिलाओं और मूक-बधिर बच्चों सहित एक हजार से ज्यादा लोगों के जबरन धर्मांतरण का आरोप है।

जांच एजेंसी ने पहले इस गैंग के दो मुख्य सदस्यों – मोहम्मद उमर गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर कासमी को गिरफ्तार किया और उसके बाद तीन अन्य लोगों – मन्नू यादव उर्फ अब्दुल मन्नान, इरफान शेख और राहुल भोला से गहन पूछताछ के बाद मंगलवार, 28 जून को उनकी भी गिरफ्तारी की जा चुकी है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र के बीड जिले का रहने वाला इरफान बाल कल्याण मंत्रालय में दुभाषिए का काम करता है। उसने 2017 और 2020 में दो बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा किया था। इन दोनों ही कार्यक्रमों में इरफान ने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण को इशारों के जरिए मूक बधिर लोगों को समझाया था।

पीएम मोदी के साथ जिन दो कार्यक्रमों में इरफान ने मंच साझा किया था, उनमें से एक उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और दूसरा गुजरात के राजकोट में हुआ था। राजकोट में दिव्यांगो के लिए 29 जून, 2017 को हुए कार्यक्रम में इरफान ने पीएम  मोदी के भाषण का साइन लैंग्वेज में अनुवाद किया था। यानी कि जो लोग पीएम के भाषण को सुन नहीं सकते थे, उन्हें इरफान ने इशारों में समझाया था।

दूसरा कार्यक्रम प्रयागराज में पिछले वर्ष 29 फरवरी को हुआ था। वहां भी इरफान ने वही भूमिका निभाई थी। कार्यक्रम के बाद पीएम मोदी इरफान के पास पहुंचे और उसकी पीठ थपथपाई थी। इरफान ने तब मीडिया से यह भी कहा था कि प्रधानमंत्री से प्रशंसा के दो शब्द मिलना उसके लिए सौभाग्य की बात है। यह पल उसे ताउम्र याद रहेगा।

फिलहाल इरफान की गिरफ्तारी से यह प्रश्न उठने लगा है कि वह यदि ऐसे कुकृत्य में संलिप्त था तो पीएम मोदी के मंच तक कैसे पहुंच गया। क्या पीएम मोदी की सुरक्षा में लगी एजेंसियां इरफान की असल जिंदगी से अनजान थीं।

यूपी एटीएस ने मंगलवार को जारी प्रेस नोट में तीन आरोपितों –मन्नान, भोला और इरफान की गिरफ्तारी की जानकारी देते हुए बताया कि इरफान हिन्दू और दूसरे धर्म के मूक-बधिर बच्चों को इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित करता था। बच्चों से दूसरे धर्म की बुराइयां करता था और उन्हें भड़काता था। यही नहीं मूक-बधिर बच्चों की सूची भी धर्मांतरण कराने वाले मौलाना उमर गौतम और जहांगीर आलम को उपलब्ध कराता था।

वहीं यूपी एटीएस  के महानिरीक्षक जी.के. गोस्वामी का कहना था, ‘इरफान बाल कल्याण मंत्रालय में जिम्मेदार पद पर पोस्टेड था। हो सकता है वह किसी कार्यक्रम में पीएम के साथ शामिल हुआ हो। हमारी जांच में सामने आया है कि वह धर्मांतरण के मामले में शामिल था। उसकी भूमिका अहम है। इस मामले में अभी और भी जांच चल रही है।’

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