भोपाल, 5 फरवरी। भारत में इस वर्ष नौ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम शामिल हैं। जाहिर है कि कांग्रेस राज्य की सत्ता में पुरजोर तरीके से वापसी करने के प्रयास में लगी हुई है।
लेकिन मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर अभी से कांग्रेस में मतभेद सामpost post post ने आने लगे हैं। राज्य में कमल नाथ को चेहरा मानते हुए उनके पोस्टर पूरे प्रदेश में कई जगह लगाए गए हैं। लेकिन वहीं दूसरी तरफ पूर्व अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने बड़ा बयान दे दिया है।
अरुण यादव के इस बयान से नया विवाद खड़ा हो गया है कि चुनाव परिणाम आने के बाद ही मुख्यमंत्री का चयन होगा। पिछले दिनों मीडिया से बात करते हुए यादव ने कहा था कि कांग्रेस में शुरू से तय है कि वह चेहरा घोषित नहीं करती। कमल नाथ सर्वमान्य अध्यक्ष हैं, लेकिन मुख्यमंत्री कौन और कैसे बनेगा, यह चुनाव बाद तय होगा।
सू्त्रों की माने तो अरुण यादव को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का भी समर्थन है। हालांकि मीडिया से बातचीत में दिग्विजय सिंह ने कहा कि इस बारे में उनकी कोई बात नहीं हुई है।
कमल नाथ और अरुण यादव के बीच लंबे समय से चल रही तनातनी
अरुण यादव के बयान को कमल नाथ से उनके आपसी संबंधों के हिसाब से भी देखा जा रहा है। कमल नाथ और अरुण यादव के बीच तनातनी लंबे समय से चल रही है। पहले अरुण यादव खंडवा लोकसभा का उपचुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन कमल नाथ ने उन्हें टिकट नहीं दिया था। हालांकि इस पर बीजेपी ने भी कटाक्ष करने से चूक नहीं की है। बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस में सर्कस चल रहा है।
प्रदेश की राजनीति का बड़ा चेहरा हैं अरुण
मध्य प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस के अरुण यादव बड़ा चेहरा माने जाते हैं। अरुण प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के पहले केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं। इसी के साथ-साथ अरुण यादव को राहुल गांधी का करीबी भी माना जाता है। लेकिन सीएम के चेहरे पर उनके बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं, जिससे राज्य की सियासत गरमाई हुई है।