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केरल में पीएम मोदी पर बीबीसी की विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने की तैयारी, कांग्रेस ने भी दिया साथ

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तिरुवनंतपुरम, 24 जनवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर बीबीसी की विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री पर जारी घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है। केरल सरकार में सत्ताधारी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) सहित कई विपक्षी दलों ने भी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ प्रदर्शित करने की मंगलवार को घोषणा की। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से मामले में हस्तक्षेप करने और इस पर रोक की मांग की है।

डीवाईएफआई ने सोशल मीडिया मंच से की घोषणा

सत्तारूढ़ भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की छात्र इकाई डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) ने मंगलवार अपने सोशल मीडिया मंच फेसबुक पेज पर घोषणा की कि राज्य में इसे दिखाया जाएगा। माकपा से संबद्ध वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई और युवा कांग्रेस सहित केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) की विभिन्न इकाइयों ने ऐसी ही घोषणा की है।

सभी जिला मुख्यालयों में डॉक्यूमेंट्री दिखाई जाएगी – कांग्रेस

केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने कहा कि गणतंत्र दिवस पर राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में डॉक्यूमेंट्री दिखाई जाएगी। केपीसीसी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष एवं अधिवक्ता शिहाबुद्दीन करयात ने एक बयान में कहा कि देश में इस पर अघोषित प्रतिबंध के मद्देनजर गणतंत्र दिवस पर पार्टी के जिला मुख्यालयों में डॉक्यूमेंट्री दिखाई जाएगी।

स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने भी सोशल मीडिया मंच फेसबुक पर लिखा कि वृत्तचित्र को राज्य के विभिन्न कॉलेज परिसरों में दिखाया जाएगा। कांग्रेस की राज्य की युवा शाखा के अध्यक्ष शफी परम्बिल ने फेसबुक पर लिखा कि विश्वासघात और नरसंहार की यादों को सत्ता के दम पर छुपाया नहीं जा सकता और बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री केरल में दिखाई जाएगी।

भाजपा ने इसे राजद्रोह करार देते हुए सीएम विजयन से हस्तक्षेप की मांग की

भाजपा ने इस कदम को ‘राजद्रोह’ करार देते हुए मुख्यमंत्री से तत्काल मामले में हस्तक्षेप करने और इस तरह के प्रयासों को रोकने की मांग की। भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने विजयन के समक्ष इसकी शिकायत करते हुए उनसे राज्य में डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने की अनुमति न देने की मांग की।

सुरेंद्रन ने अपनी शिकायत में कहा कि वृत्तचित्र को दिखाया जाना देश की एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले विदेशी कदमों को माफ करने के समान होगा। उन्होंने कहा कि दो दशक पहले की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को फिर से हवा देने का उद्देश्य ‘धार्मिक तनाव को बढ़ावा देना’ है।

केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन ने भी मुख्यमंत्री से डॉक्यूमेंट्री को दिखाए जाने की अनुमति नहीं देने का आग्रह किया और मामले में उनके तत्काल हस्तक्षेप की मांग की। मुरलीधरन ने फेसबुक पर लिखा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा खारिज किए गए आरोपों को फिर से पेश करना देश की सर्वोच्च अदालत की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने जैसा है। मुरलीधरन और सुरेंद्रन दोनों ने डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को ‘राजद्रोह’ करार दिया।

डॉक्यूमेंट्री के यूट्यूब वीडियो व ट्विटर पोस्ट ब्लॉक करने का निर्देश दे चुका है केंद्र

गौरतलब है कि केंद्र ने डॉक्यूमेंट्री के कई यूट्यूब वीडियो और उसके लिंक साझा करने वाले ट्विटर पोस्ट को ‘ब्लॉक’ करने का निर्देश दिया है। बीबीसी की यह डॉक्यूमेंट्री दो भाग में है, जिसमें दावा किया गया है कि यह 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित कुछ पहलुओं की पड़ताल पर आधारित है। 2002 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे।

सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के तहत आपातकालीन शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव अपूर्व चंद्रा ने डॉक्यूमेंट्री तक पहुंचने के सभी लिंक ‘ब्लॉक’ करने का गत शुक्रवार को निर्देश जारी किया था। इस बीच डॉक्यूमेंट्री श्रृंखला की शनिवार को 302 पूर्व न्यायाधीशों, पूर्व नौकरशाहों और पूर्व सैन्य अधिकारियों के समूह ने निंदा की तथा कहा कि यह ‘हमारे नेता, साथी भारतीय एवं एक देशभक्त’ के खिलाफ पक्षपातपूर्ण आरोपपत्र है, जो नकारात्मकता और पूर्वाग्रह से भरा है।