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बिहार में संवैधानिक संकट : विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा का इस्तीफा देने से इनकार

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पटना, 23 अगस्त। बिहार में मंगलवार को संवैधानिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई, जब महागठबंधन की नई सरकार गठित होने के 12 दिन बीत जाने के बाद विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने अपने खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

अविश्वास प्रस्ताव को मैं अस्वीकार करता हूं और इस्तीफा नहीं दूंगा

महागठबंधन की ओर से दिए गए अविश्वास प्रस्ताव पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘जो नोटिस मुझे दी गई है, वह नियमों और प्रावधान के खिलाफ है। अविश्वास प्रस्ताव को मैं अस्वीकार करता हूं और मैं इस्तीफा नहीं दूंगा।’

विधायिका की प्रतिष्ठा पर जो प्रश्न खड़ा किया गया, उस पर चुप रहना अनुचित

विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने प्रेस सलाहकार की बैठक में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, ‘सदन की बात सदन में करेंगे। लोकतंत्र हमारे लिए सिर्फ व्यवस्था नहीं है। विगत दिनों सत्ता को बचाए रखने के लिए जो कुछ भी हुआ, उसपर इस समय कुछ भी कहना उचित नहीं है। लेकिन इस क्रम में विधायिका की प्रतिष्ठा पर जो प्रश्न खड़ा किया गया, उस पर चुप रहना अनुचित है। अध्यक्ष संसदीय नियमों तथा परंपराओं का संरक्षक है। यह केवल पद नहीं बल्कि एक न्यास का अंगरक्षक है।’

‘व्यक्तिगत सम्मान से ऊपर लोकतंत्र की गरिमा को सुरक्षित रखना मेरा कर्तव्य

विजय सिन्हा ने कहा, ‘इस दायित्व के साथ जब तक बंधे हैं, तब तक अपने व्यक्तिगत सम्मान से ऊपर लोकतंत्र की गरिमा को सुरक्षित रखना मेरा कर्तव्य है। इसलिए जब विधानसभा के अध्यक्ष के रूप में मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, तब मैंने अपने ऊपर विश्वास की कमी के रूप में नहीं देखा। अविश्वास का प्रस्ताव की जो नोटिस सभा सचिवालय को दी गई, उसमें नियमों और प्रावधानों की अनदेखी की गई है। इसलिए इस नोटिस को अस्वीकृत करना मेरी स्वाभाविक जिम्मेवारी है। आसन से बंधे होने के कारण से नोटिस में सबसे दुर्भाग्यपूर्ण और निराधार आरोप लगाए गए हैं, जो व्यक्तिगत स्तर के हैं।’

स्पष्ट किया – सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा नहीं होगी

विधानसभा अध्यक्ष ने स्पष्ट कर दिया कि उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर बुधवार को कोई वोटिंग नहीं होगी। उन्होंने कहा, ‘कल सदन में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा नहीं होगी। सदन में पहले सरकार का काम होगा। यानी सरकार को जो बहुमत हासिल करना है, उसकी प्रक्रिया होगी। उसके बाद आगे कोई बात होगी।’

विधानसभा उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी बोले – अविश्वास प्रस्ताव नियमों के तहत

उधर, विधानसभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी ने भी विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा के एलान के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि अविश्वास प्रस्ताव नियमों के तहत लाया गया है और उस पर 14 दिनों के अंदर चर्चा और वोटिंग कराना होगा। लिहाजा 24 अगस्त को जब विधानसभा की कार्यवाही शुरू होगी तो विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा अपने आसन पर नहीं बैठ सकते।

दरअसल, गत 10 अगस्त को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा से नाता तोड़कर सात पार्टियों के महागठबंधन के साथ मिलकर प्रदेश में नई सरकार बना ली थी। नई सरकार के गठन के तुरंत बाद महागठबंधन के 40 से अधिक विधायकों ने विजय सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया था।

विधानमंडल के दो दिवसीय सत्र पर टिकीं निगाहें

बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में महागठबंधन के 164 विधायक हैं, जहां अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए एक साधारण बहुमत की आवश्यकता है। अब लोगों की निगाहें 24 अगस्त, बुधवार से आरंभ हो रही दो दिवसीय विधानमंडल के सत्र पर टिकी हैं। इसी दौरान नीतीश सरकार को बहुमत भी साबित करना है।

संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने कहा – अधिकतर सदस्यों का आसन पर विश्वास नहीं

इस बीच संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि विधानसभा की कार्य संचालन नियमावली की धारा 20 के अनुसार विधानसभा की कार्यसूची विधानसभा के सचिव सदन नेता से विमर्श कर तय करेंगे और सदस्यों को सूचित करेंगे। मौजूदा अध्यक्ष को हटाने की नोटिस के संकल्प की सूचना दी जा चुकी है। इसके 14 दिन पूरे हो चुके हैं। ऐसी स्थिति में सदन की सर्वोच्च प्राथमिकता अध्यक्ष को पद से हटाने वाले संकल्प को लाए जाने की होगी। कारण, जिस सभा के अधिकतर सदस्यों का आसन पर विश्वास नहीं है, वह अध्यक्ष एक भी कार्यवाही कैसे संपादित कर सकता है?

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