नई दिल्ली, 17 अगस्त। ‘वोट चोरी’ के विपक्ष के आरोपों पर घमासान जारी है। इस क्रम में रविवार को पहले भारत निर्वाचन आयोग (ECI) के मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी का नाम लिए बिना उनपर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग और मतदाता सूची को लेकर जो आरोप लगाए हैं, वह निराधार और झूठे हैं। यदि उनके पास अपने दावे का सबूत है, तो उन्हें सात दिनों के भीतर शपथपत्र (हलफनामा) देना होगा, अन्यथा उन्हें पूरे देश से माफी मांगनी होगी।
फिलहाल ज्ञानेश कुमार की प्रेस कॉन्फ्रेंस के कुछ देर बाद ही कांग्रेस ने पलटवार करते हुए EC पर झूठ बोलने का आरोप लगा दिया। कांग्रेस ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर एक वीडियो कोलाज पोस्ट किया और लिखा कि चुनाव आयोग ने फिर झूठ बोला।
चुनाव आयोग ने फिर झूठ बोला pic.twitter.com/TMaFd4vN8b
— Congress (@INCIndia) August 17, 2025
दरअसल, मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि चुनाव आयोग सभी राजनीतिक दलों के साथ समान व्यवहार करता है क्योंकि हर दल का जन्म आयोग में पंजीकरण से होता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आयोग के लिए कोई पक्ष या विपक्ष नहीं है, सभी दल समकक्ष हैं। वोट चोरी के आरोप को ज्ञानेश कुमार ने झूठा करार देते हुए कहा कि विपक्षी दलों के आरोप भारत के संविधान का अपमान हैं।
वहीं कांग्रेस ने जो वीडियो कोलाज पोस्ट किया, “उसमें पहले मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार कहते हैं कि हमारे लिए न तो कोई पक्ष है, न विपक्ष, सब समकक्ष हैं। इसके बाद राहुल गांधी का वीडियो दिखाया गया, जिसमें वे कहते हैं कि कुछ दिन पहले बीजेपी के लोग प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हैं, उनसे कोई एफिडेविट नहीं मांगा गया। उनका ही डेटा है, उनके ही आंकड़े हैं, मुझसे एफिडेविट मांगा जा रहा है।”
चोरी बंद कर दीजिए, हम वोट चोरी जैसे शब्दों का प्रयोग बंद कर देंगे – पवन खेड़ा
इस बीच CEC ज्ञानेश कुमार के बयान ‘वोट चोरी जैसे शब्द संविधान का अपमान हैं’ पर कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा, ‘आप कौन होते हैं बोलने वाले? चोरी करना बंद कर दीजिए, हम वोट चोरी जैसे शब्दों का प्रयोग करना बंद कर देंगे।’ कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि अगर सीसीटीवी से निजता भंग होती है, तो 45 दिन तक का समय कैसे दे सकते हैं? अगर निजता भंग होती है, तो ऐसी व्यवस्था बनाते ही क्यों हैं?
देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार गुप्ता जी ने प्रेस वार्ता की, लेकिन उनके शब्द और उनकी स्क्रिप्ट BJP वाली थी।
नेता विपक्ष श्री @RahulGandhi ने वोट चोरी और SIR को लेकर कई सवाल किए, लेकिन आपने जवाब नहीं दिया। चुनाव आयोग ने जिन लोगों को मृत घोषित कर दिया, वो राहुल गांधी जी… pic.twitter.com/4X3Mqnt681
— Congress (@INCIndia) August 17, 2025
जयराम रमेश ने भी बोला हमला
चुनाव आयोग की पीसी के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी हमला बोला। उन्होंने कहा कि यह पहली बार था, जब यह ‘नया’ चुनाव आयोग सीधे बोल रहा था और सूत्रों के माध्यम से नहीं। कल, चुनाव आयोग ने एक ‘प्रेस नोट’ जारी किया था, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची सुधार की जिम्मेदारी राजनीतिक दलों और व्यक्तियों पर डालना था। इस प्रेस नोट की विपक्षी दलों और आम जनता ने एकसमान आलोचना की थी। आज की प्रेस कॉन्फ्रेंस बिहार SIR के दौरान हटाए गए 65 लाख मतदाताओं की सूची प्रकाशित करने से रोकने के लिए चुनाव आयोग के सभी तर्कों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा खारिज किए जाने के तीन दिन बाद हुई।
उन्होंने आगे कहा कि चुनाव आयोग के तीव्र और दस्तावेजी विरोध के बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने इन 65 लाख मतदाताओं की सभी जानकारी के साथ खोजने योग्य प्रारूप में प्रकाशन का निर्देश दिया। कोर्ट ने आधार आईडी को मतदाता पहचान के प्रमाण के रूप में उपयोग की भी अनुमति दी। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के इन सभी निर्देशों का विरोध किया था।
राहुल गांधी के तीखे सवालों का जवाब नहीं
उल्लेखनीय है कि आज ही दिन में राहुल गांधी सासाराम से विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. की वोटर अधिकार यात्रा शुरू की और इसके कुछ समय बाद सीईसी और उनके दो चुनाव आयुक्तों ने कहा कि वे सत्तारूढ़ दल और विपक्ष के बीच कोई भेद नहीं करते। यह दावा, इसके विपरीत ढेर सारे सबूतों के सामने, हास्यास्पद है। उन्होंने आरोप लगाया कि सीईसी ने राहुल गांधी द्वारा उठाए गए तीखे सवालों का कोई सार्थक जवाब नहीं दिया।
जयराम रमेश ने पूछा कि क्या चुनाव आयोग 14 अगस्त, 2025 के सुप्रीम कोर्ट के बिहार SIR प्रक्रिया संबंधी आदेशों को पूरी तरह और निष्ठा से लागू करेगा? यह संवैधानिक रूप से ऐसा करने के लिए बाध्य है। देश इंतजार कर रहा है और नजर रखे हुए है। जहां तक सीईसी द्वारा राहुल गांधी को दी गई धमकियों का सवाल है, केवल इतना कहना काफी है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता ने केवल चुनाव आयोग के ही डेटा से सामने आए तथ्यों को बताया था। चुनाव आयोग न केवल अपनी अक्षमता के लिए, बल्कि अपनी स्पष्ट पक्षपातपूर्ण रवैये के लिए भी पूरी तरह बेनकाब हो चुका है।

