नई दिल्ली, 7 मई। कांग्रेस ने मंगलवार को भाजपा नीत केंद्र सरकार पर मध्य प्रदेश के आदिवासी समुदायों की अनदेखी करने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि केंद्रीय बजट में जनजातीय समुदायों के लिए आवंटन लगातार घटकर नीति आयोग द्वारा तय 8.2 प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे आ गया है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मध्य प्रदेश में रैलियों से पहले उनसे इस तरह के कुछ प्रश्न किए हैं। रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘भाजपा मध्य प्रदेश के आदिवासी जिलों में रेल संपर्क उन्नत बनाने में विफल क्यों रही? ‘मोदी का परिवार’ में आदिवासियों का स्वागत क्यों नहीं होता? मोदी सरकार प्रवासी श्रमिकों की लगातार अनदेखी क्यों कर रही है ?’’
उन्होंने कहा, ‘‘10 साल तक सत्ता में रहने के बाद भी मोदी सरकार दाहोद-इंदौर और छोटा उदयपुर-धार रेलवे लाइन को पूरा करने में विफल रही है। इन रेलवे लाइन को संप्रग सरकार ने मंजूरी दी थी। दस साल बाद भी निर्माण शुरू नहीं हुआ है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘बेहतर रेल कनेक्टिविटी मध्य प्रदेश के अपेक्षाकृत अलग-थलग आदिवासी बहुल जिलों धार और झाबुआ में समृद्धि लाएगी लेकिन राज्य और केंद्र की भाजपा सरकारों ने इस परियोजना को नजरअंदाज किया है। क्या प्रधानमंत्री इन महत्वपूर्ण रेलवे लाइनों में 10 से भी ज्यादा वर्ष की देरी के लिए स्पष्टीकरण देंगे? क्या इसका कारण आदिवासी समुदाय के प्रति उनकी सामान्य रूप से दिखने वाली उदासीनता है?’’
रमेश ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने न केवल मध्य प्रदेश के आदिवासी समुदायों की उपेक्षा की है, बल्कि उनके बीच भय का वातावरण भी पैदा कर दिया है। उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय बजट में आदिवासियों के लिए आवंटन 2017 में नीति आयोग द्वारा निर्धारित 8.2 प्रतिशत लक्ष्य से लगातार कम हो गया है। मध्य प्रदेश में आदिवासी कल्याण के लिए 3 लाख करोड़ रुपए आवंटित करने का उनका चुनावी वादा अधूरा है।’’
रमेश ने कहा, ‘‘झाबुआ में प्रधानमंत्री की रैली के बाद बैतूल में भाजपा कार्यकर्ता एक आदिवासी युवक को बेरहमी से पीटते दिखे। पिछले साल एक वीडियो में एक भाजपा नेता को सार्वजनिक रूप से एक आदिवासी व्यक्ति पर पेशाब करते हुए देखा गया था।’’ उन्होंने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि ‘मोदी के परिवार’ में आदिवासी समुदाय के लिए कोई जगह नहीं है।
कांग्रेस पार्टी आदिवासी कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। हमने एससी-एसटी उप-योजना को कानूनी दर्जा देने की गारंटी दी है, जिसके लिए केंद्र सरकार को 8.2 प्रतिशत बजट लक्ष्य को पूरा करना होगा। क्या प्रधानमंत्री कभी अपनी सरकार की गलतियों को स्वीकार करेंगे और सही मायने में आदिवासियों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध होंगे?’’ कांग्रेस नेता ने यह आरोप भी लगाया कि मोदी सरकार ने अक्सर भारत के प्रवासी श्रमिकों की दुर्दशा को नजरअंदाज़ किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘उनकी उपेक्षा विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान स्पष्ट रूप से सामने आई जब प्रवासी श्रमिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया। वे काफी लंबी दूरी तय करके अपने घर जाने को मजबूर हुए। इस दौरान कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अब, जैसे-जैसे खरगोन में चौथे चरण के मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, चिंता यह है कि इस लोकसभा क्षेत्र के लगभग 20,000 प्रवासी कामगार अपना वोट डालने में असमर्थ हो सकते हैं।’’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस का ‘न्याय पत्र’ प्रवासी श्रमिकों के रोजगार को नियमित करने और उनके मौलिक कानूनी अधिकारों की रक्षा के लिए कानून पेश करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘क्या भाजपा ने प्रवासी श्रमिकों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ किया है? क्या उनके पास प्रवासी श्रमिकों को मताधिकार का उपयोग करने में मदद करने की कोई योजना है?’’ रमेश ने कहा कि प्रधानमंत्री को इन मुद्दों पर अपनी ‘चुप्पी’ तोड़नी चाहिए।