नई दिल्ली, 18 सितम्बर। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ‘प्रोजेक्ट चीता’ को लेकर एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर रविवार को निशाना साधा और रविवार को ट्विटर पर एक पत्र साझा करते हुए दावा किया कि उन्होंने 2009 में ‘प्रोजेक्ट चीता’ की शुरुआत की। इसके साथ ही उन्होंने भारत में चीतों को लाने के लिए पिछली सरकारों के रचनात्मक प्रयास नहीं करने के पीएम मोदी के आरोपों पर उन्हें ‘अविवेकपूर्ण झूठा’ करार दिया।
पीएम मोदी ने कहा था – चीतों को भारत लाने के लिए रचनात्मक प्रयास नहीं किए गए
पीएम मोदी ने शनिवार को पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा था कि सात दशक पहले देश से विलुप्त हो जाने के बाद भारत में चीतों को फिर से लाने के लिए कोई रचनात्मक प्रयास नहीं किए गए। मोदी ने यह टिप्पणी मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कुनो नेशनल पार्क (केएनपी) में नामीबिया से लाए गए आठ में से तीन चीतों को विशेष बाड़ों में छोड़ने के बाद की थी।
इस पर जवाब देते हुए जयराम रमेश ने ट्वीट कर लिखा, “यह वो पत्र है, जिसके जरिए 2009 में ‘प्रोजेक्ट चीता’ शुरू किया गया था। हमारे प्रधानमंत्री अविवेकपूर्ण झूठे हैं। मैं कल इस पत्र को जारी नहीं कर सका क्योंकि मैं ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में व्यस्त था।”
This was the letter that launched Project Cheetah in 2009. Our PM is a pathological liar. I couldn’t lay my hands on this letter yesterday because of my preoccupation with the #BharatJodoYatra pic.twitter.com/3AQ18a4bSh
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 18, 2022
कांग्रेस नेता ने ट्वीट के साथ उस पत्र को साझा किया, जो उन्होंने तत्कालीन पर्यावरण और वन मंत्री के रूप में 2009 में भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट के एम. के. रंजीतसिंह को लिखा था। पत्र में रमेश ने रंजीतसिंह को चीतों के पुनर्वास के लिए एक कार्ययोजना तैयार करने और उसमें पुनर्वास के लिए विभिन्न संभावित स्थलों का विस्तृत विश्लेषण शामिल करने को कहा था। रमेश की इस टिप्पणी पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
पीएम मोदी के कार्यक्रम को कांग्रेस ने बताया था ‘तमाशा’
कांग्रेस ने शनिवार को भी पीएम मोदी की श्योपुर राष्ट्रीय उद्यान में चीतों को छोड़े जाने के कार्यक्रम को एक ‘तमाशा’ करार था और राष्ट्रीय मुद्दों और ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से ध्यान भटकाने का एक और पैंतरा बताया था। जयराम रमेश ने एक ट्वीट में आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री शासन में निरंतरता को शायद ही कभी स्वीकार करते हैं और चीता परियोजना इसका ताजा उदाहरण है। पीएम ने बेवजह का तमाशा खड़ा किया।”