नई दिल्ली, 4 जून। प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए प्रयासरत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कांग्रेस ने झटका दे दिया है क्योंकि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे या राहुल गांधी में से कोई भी नेता 12 जून को पटना में प्रस्तावित विपक्षी दलों की बड़ी बैठक शामिल नहीं होंगे। इस अहम बैठक में कांग्रेस के दोनों कद्दावर नेताओं के शामिल होने की चर्चा थी, लेकिन पार्टी ने आधिकारिक तौर पर ऐसी किसी भी संभावना को खारिज कर दिया है।
कांग्रेस शासित किसी राज्य के मुख्यमंत्री को बैठक में भेजा जा सकता है
कर्नाटक में मिली जीत से उत्साहित कांग्रेस पार्टी ने साफ-साफ कहा है कि पटना में होने वाली इस बैठक में न तो राहुल गांधी जाएंगे और न ही वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे। कांग्रेस शासित राज्य के किसी मुख्यमंत्री को इस बैठक में शामिल होने के लिए पटना भेजा जा सकता है। देश की सबसे पुरानी पार्टी के इस कदम को सियासी गलियारों में नीतीश कुमार के लिए एक झटके की तरह देखा जा रहा है।
कर्नाटक में मिली जीत से कांग्रेस उत्साहित
नीतीश कुमार ने जब राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से दिल्ली में मुलाकात की थी, तब कर्नाटक चुनाव के नतीजे सामने नहीं आए थे। इस चुनाव में मिली शानदार जीत के बाद कांग्रेस के तेवर अचानक बदल गए हैं। पार्टी के अधिकतर नेता फिर एकबार राहुल गांधी के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाना चाहते हैं। उनकी दलील है कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के कारण राहुल गांधी की लोकप्रियता में इजाफा हुआ है और कर्नाटक में मिली जीत इसी का परिणाम है।
कांग्रेस नहीं करना चाहती है जल्दबाजी
फिलहाल देखा जाए तो नीतीश कुमार विपक्षी एकता को लेकर जितनी जल्दबाजी में हैं, कांग्रेस उतनी ही इस मुद्दे पर शांत है। वह न तो सीट शेयरिंग पर बात करने के मूड में है और न ही प्रधानमंत्री पद के कैंडिडेट को लेकर किसी दूसरे नेता के नाम पर मुहर लगाना चाहती है। कांग्रेस सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
नीतीश को पीएम कैंडिडेट घोषित करना चाहता है जदयू
वहीं, नीतीश कुमार भले ही कई मौकों पर यह कह चुके हैं कि प्रधानमंत्री बनने की उनकी कोई इच्छा नहीं है, लेकिन उनकी पार्टी के तमाम नेता अक्सर उन्हें पीएम कैंडिडेट बनाने की बात कह रहे हैं। ऐसा कहा जा रहा है कि पटना में 12 जून को होने वाली बैठक में उनके नाम का प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे की गौरमौजूदगी में हो रही विपक्षी एकता की पहली बैठक के मायने क्या रह जाएंगे। कहीं, इसका हश्र थर्ड फ्रंट जैसा तो नहीं हो जाए।