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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का आरोप – देश का सबसे बड़ा एनपीए है ‘एनडीए’

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नई दिल्ली, 22 नवम्बर। कांग्रेस ने मंगलवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार में गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) 365 प्रतिशत बढ़ गईं और गत पांच वर्षों में 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की राशि बट्टे खाते में डाली गई। पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) देश का सबसे बड़ा एनपीए है।

मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट किया, ‘पिछले पांच वर्षों में 10,09,510 करोड़ रुपये का एनपीए बट्टे खाते में डाला गया, जबकि 1,32,000 करोड़ रुपये की वसूली की गई। सरकार पूंजीपतियों के लिए लोगों के पैसे का इस्तेमाल कर रही है तथा छोटे एवं मझोले उद्योगों को बर्बाद कर रही है। भारत का सबसे बड़ा एनपीए एनडीए है।’

पीएम मोदी द्वारा युवाओं को नियुक्ति पत्र बांटा जाना ऊंट के मुंह में जीरा

खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हजारों युवाओं को नियुक्ति पत्र बांटे जाने को लेकर भी कटाक्ष किया और दावा किया कि यह ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ है। उन्होंने कहा, “वोटरों को बरगलाने के लिए आज प्रधानमंत्री मोदी 71,000 नौकरी-पत्र बांट रहे हैं। जिस सरकार में 30 लाख पद खाली पड़े हों, उसके लिए ये ‘ऊंट के मुंह में जीरे’ के समान है! सालाना 2 करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था ! 8 साल में नौकरियां देनी थीं 16 करोड़, ‘चुनावी स्टंट’ केवल हजारों में !’’

वहीं कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने संवाददाताओं से कहा, ‘पिछले पांच वर्षों में सरकार ने 10,09,510 करोड़ रुपये के एनपीए को बट्टे खाते में डाला है। केवल 13 प्रतिशत कर्ज यानी 1,32,000 करोड़ की ही वसूली हो सकी।’ उन्होंने कहा कि बट्टे खाते में डाले गए एनपीए का मूल्य वित्त वर्ष 2022-23 के राजकोषीय घाटे का लगभग 61 प्रतिशत है।

मोदी सरकार के कार्यकाल में एनपीए में 365 प्रतिशत का उछाल

सुप्रिया ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार के कार्यकाल में एनपीए में 365 प्रतिशत का उछाल आया है तथा जान बूझकर ऋण चुकता नहीं करने के मामलों में राशि 23,000 करोड़ रुपये से बढ़ कर 2.4 लाख करोड़ रुपये हो गई है। उनका कहना था कि इस सरकार में 38 पूंजीपति बड़ा बैंक घोटाला करने के बाद देश छोड़ कर भाग गए।

देश छोड़कर भागे बड़े घोटालेबाजों को वापस लाने की क्या योजना है?

कांग्रेस प्रवक्ता ने सवाल किया, ‘10,09,510 करोड़ रुपये का कर्ज बट्टे खाते में डालने का फैसला किन मानक के चलते हुआ? अब तक बट्टे खाते में डाली गई राशि के केवल 13 प्रतिशत की ही वसूली हो पायी है, बाकी कितनी वसूली सम्भव है?’

उन्होंने यह भी पूछा, ‘जिन उद्योगपतियों को फ़ायदा पहुंचाया जा रहा है – उनका नाम सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है? बड़े-बड़े घोटाले कर के जो लोग देश छोड़ कर भाग गए हैं, उन्हें वापस लाने की क्या योजना है?’

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