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कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने पीएम मोदी को लिखा पत्र – नौकरशाही के ‘राजनीतिकरण’ पर जताई चिंता, आदेश वापस लेने की मांग

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नई दिल्ली, 22 अक्टूबर। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नौकरशाही के ‘राजनीतिकरण’ पर चिंता जताई है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर नौकरशाही और सशस्त्र बलों के राजनीतिकरण को बढ़ावा देने वाले आदेशों को तुरंत वापस लिए जाने की मांग की है।

आरोप – सभी सरकारी एजेंसियां पीएम मोदी की आधिकारिक प्रचारक‘ बनीं

खड़गे ने रविवार को लिखे अपने पत्र में आरोप लगाते हुए कहा, “सरकार की सभी एजेंसियां, संस्थान, सेना और विभाग अब पीएम मोदी के आधिकारिक तौर पर ‘प्रचारक’ बन गए हैं।” कांग्रेस अध्यक्ष ने साथ ही चुनाव की तैयारी और रैलियों में जुटे अधिकारियों पर निशाना साधते हुए लिखा कि भारत सरकार के सभी बड़े अधिकारियों को अपने नौ साल की उपलब्धियों को बताना चाहिए। इसे बताने के लिए देश के सभी 765 जिलों में रथ प्रभारियों के रुप में तैनात किया जाना चाहिए।

आम चुनावों के लिए एक पारदर्शी राजनीतिक व्यवस्था

खड़गे ने अपने पत्र में कहा, “यह केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 का स्पष्ट उल्लंघन है, जो निर्देश देता है कि कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी राजनीतिक गतिविधि में भाग नहीं लेगा जबकि सरकारी अधिकारियों के लिए जानकारी का प्रसार करना स्वीकार्य है। उन्हें ‘जश्न मनाने’ और उपलब्धियों का प्रदर्शन करने के लिए सत्तारूढ़ दल के राजनीतिक कार्यकर्ताओं में बदल दिया जाता है। यह तथ्य कि केवल 9 साल की उपलब्धियों पर विचार किया जा रहा है, ऐसा दिखाता है कि पांच राज्यों के चुनावों और 2024 के आम चुनावों के लिए एक पारदर्शी राजनीतिक व्यवस्था है।”

रक्षा मंत्रालय के आदेश का दिया हवाला

कांग्रेस अध्यक्ष ने रक्षा मंत्रालय के नौ अक्टूबर, 2023 के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा, “सैनिकों को वार्षिक छुट्टी पर सरकारी योजनाओं को बढ़ावा देने में समय बताने का निर्देश दिया गया था, उन्हें ‘सैनिक राजदूत’ बनाया गया था। सेना प्रशिक्षण कमान, जिसे राष्ट्र की रक्षा के लिए हमारे जवानों को तैयार करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, वो सरकारी योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए स्क्रिप्ट और प्रशिक्षण नियमावली तैयार करने में व्यस्त है।”

राजनीतिकरण की दिशा में एक खतरनाक कदम

खड़गे ने कहा, ‘लोकतंत्र में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि सशस्त्र बलों को राजनीति से बाहर रखा जाए। प्रत्येक जवान की निष्ठा राष्ट्र और संविधान के प्रति है। हमारे सैनिकों को सरकारी योजनाओं के मार्केंटिंग एजेंट बनने के लिए मजबूर करना सशस्त्र बलों के राजनीतिकरण की दिशा में एक खतरनाक कदम है।’

उन्होंने कहा, ‘ऊपर लिखे आदेशों के जरिए पूरे सरकारी तंत्र को सत्तारूढ़ दल के एजेंट के रूप में काम कराने की चाल है। हमारे लोकतंत्र और हमारे संविधान की रक्षा को देखते हुए यह अनिवार्य है कि इन आदेशों को तुरंत वापस लिया जाए।’