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कांग्रेस पार्टी भी पटना में 12 जून को होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में हिस्सा लेगी

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पटना, 1 जून। कांग्रेस पार्टी भी बिहार की राजधानी पटना में 12 जून को नीतीश कुमार की मेजबानी में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक में हिस्सा लेगी। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में इस आशय की पुष्टि की। इस बैठक में केंद्र की भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के विरोधी दलों को बुलाया गया है।

जयराम रमेश ने कहा, ‘हम 12 जून को (पटना में) बैठक में भाग लेंगे। कौन (प्रतिनियुक्त किया जाएगा) जाएगा, इसे तय किया जाना है। मुझे यकीन है कि कांग्रेस अध्यक्ष (मल्लिकार्जुन खड़गे) और अन्य नेता फैसला करेंगे, लेकिन हम बैठक में भाग लेंगे।’

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी झारखंड मुक्ति मोर्चा के बैठक में मौजूद रहने की तस्दीक कर दी है। सोरेन ने पत्रकारों से कहा, ‘चूंकि सभी विपक्षी दलों ने भागीदारी दर्ज की है, इसलिए हम भी इसमें शामिल होंगे।’ झारखंड में कांग्रेस और झामुमो सहयोगी हैं।

तमिलनाडु की डीएमके भी होगी शामिल

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के भी बिहार में होने वाली इस बैठक में भाग लेने की उम्मीद है, हालांकि मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पूर्व नियोजित कार्यक्रमों की वजहों से खुद 12 जून की इस बैठक में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा, ‘मैं उसी दिन मेत्तूर बांध के उद्घाटन समारोह में शामिल होऊंगा…यहां तक ​​कि कांग्रेस अध्यक्ष भी अलग-अलग कार्यक्रमों में रुके रहेंगे और शामिल नहीं हो पाएंगे…इसलिए, मैंने बैठक की तारीख को आगे बढ़ाने के लिए कहा है। हालांकि डीएमके जरूर बैठक में मौजूद होगी।’

विपक्षी दलों को साथ लाने की कवायद में जुटे हैं नीतीश

उल्लेखनीय है कि नीतीश कुमार पिछले कुछ महीनों से लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी दलों को एकजुट करने में जुटे हैं। ऐसे में 12 जून की बैठक अहम हो सकती है। नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पिछले कुछ महीनों से लगातार अलग-अलग राज्यों में जाकर दूसरी पार्टी के नेताओं से मिल रहे हैं।

नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने हाल में दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से भी मुलाकात की थी। बैठक के बाद खड़गे ने इसे 2024 से पहले एक ‘ऐतिहासिक’ कदम के रूप में बताया था। हालांकि नीतीश ने ममता बनर्जी समेत उन विपक्षी नेताओं से भी बात की है, जो कांग्रेस से दूरी बनाकर रखना चाहते हैं। इनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी भी शामिल है।