नई दिल्ली, 18 अगस्त। राष्ट्रीय राजधानी के राउज एवेन्यू कोर्ट ने बुधवार को कांग्रेस सांसद शशि थरूर को बड़ी राहत प्रदान करते हुए उन्हें पत्नी सुनंदा पुष्कर की मौत से जुड़े मामले में सभी आरोपों से बरी कर दिया है। दिल्ली पुलिस ने लगभग साढ़े सात वर्ष पूर्व राजधानी के एक सितारा होटल में सुनंदा की लाश मिलने के बाद थरूर को मुख्य आरोपित बनाया था।
थरूर बोले – ये साढ़े सात वर्ष किसी टॉर्चर की तरह थे
थरूर अब तक इस मामले में जमानत पर चल रहे थे। उनके खिलाफ दिल्ली पुलिस ने आईपीसी की धारा 498A और 306 के तहत चार्जशीट दायर की थी। फैसले पर अदालत का शुक्रिया अदा करते हुए थरूर ने कहा कि ये साढ़े सात वर्ष उनके लिए किसी टॉर्चर की तरह रहे।
थरूर के वकील ने पुलिसिया जांच पर उठाए सवाल
दिल्ली की विशेष अदालत में थरूर के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश पिछले महीने पांचवीं बार टल गया था। थरूर का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने मामले में अपने मुवक्किल को आरोप मुक्त करने की मांग करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष ने उनके मुवक्किल के खिलाफ मानसिक या शारीरिक प्रताड़ना का आरोप नहीं लगाया है। पाहवा ने यह भी तर्क दिया कि पुलिस जांच पर चार वर्ष व्यतीत करने के बाद भी सुनंदा पुष्कर की मौत के कारणों का पता नहीं लगा सकी।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सुनंदा के शरीर पर थे चोटों के निशान
गौरतलब है कि सुनंदा 17 जनवरी, 2014 की शाम एक होटल के कमरे में मृत पाई गई थीं। शुरुआत में, दिल्ली पुलिस ने हत्या की जांच की और भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत प्राथमिकी दर्ज की, लेकिन फिर उसने थरूर पर धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 498ए (पति द्वारा क्रूरता) के तहत आरोप लगाया।
विशेष लोक अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने तर्क दिया था कि उनकी मृत्यु से पहले सुनंदा के शरीर पर चोटें आई थीं, और वे पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी नजर आई। उनके कमरे में एल्प्रैक्स की 27 गोलियां मिलीं। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि उन्होंने कितनी गोलियां खाई थीं।
सरकारी वकील अतुल श्रीवास्तव ने अदालत में यह भी बताया कि बयानों के फॉरेंसिक विश्लेषण से यह पता चला है कि सुनंदा पुष्कर दुखी थीं। वह वैवाहिक जीवन में विश्वासघात महसूस कर रही थीं। मौत से पहले कुछ दिनों तक खाना नहीं खाया था और आत्महत्या कर ली। वह अपने पति के साथ अशांत संबंध के चलते परेशान थीं, इसलिए उन्होंने आत्महत्या कर ली।