तिरुवनंतपुरम, 29 अगस्त। केरल में सत्तारूढ़ वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) ने बलात्कार के एक मामले में आरोपी एवं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के विधायक एम. मुकेश का बृहस्पतिवार को समर्थन करते हुए कहा कि मलयालम अभिनेता का इस्तीफा मांगने से पहले यौन उत्पीड़न के मामलों में आरोपी दो कांग्रेस विधायकों को इस्तीफा देना चाहिए।
एलडीएफ के संयोजक ई पी जयराजन ने साथ ही कहा कि विभिन्न अभिनेताओं और निर्देशकों के खिलाफ लगे आरोपों के संबंध में दर्ज किसी भी मामले में न तो माकपा और न ही वामपंथी सरकार, गलत काम करने वाले को बचाएगी। संवाददाताओं ने जयराजन से सवाल किया था कि मुकेश इस्तीफा देंगे या नहीं।
जयराजन ने कहा कि इससे पहले दो अन्य विधायकों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के बड़े मामले दर्ज किए गए और उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है। उन्होंने कांग्रेस विधायकों एम. विंसेंट और ई. कुन्नापिल्ली का जिक्र करते हुए यह बात कही। जयराजन ने कहा, ‘‘अगर वे इस्तीफा दे देते तो तीसरे विधायक (मुकेश) को भी इस्तीफा देना पड़ता। कानून सभी विधायकों पर समान रूप से लागू होता है। मुकेश का इस्तीफा मांगकर आप बाकी दो विधायकों को बचा रहे हैं।’’
जब उनसे कहा गया कि एनी राजा सहित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के कुछ नेताओं ने मुकेश का इस्तीफा मांगा है तो जयराजन ने कहा कि ‘‘कोई भी कुछ भी मांग सकता है।’’ राजा ने बृहस्पतिवार को कहा कि मुकेश के विधायक बने रहने का अब कानूनी या नैतिक आधार नहीं है, क्योंकि उनके खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज किया गया है। राजा ने कहा कि न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद कुछ महिलाओं ने विधायक के खिलाफ आरोप लगाए हैं और उस समय भी भाकपा का मानना था कि उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए ताकि सच सामने आ सके।
उन्होंने कहा, ‘‘अब जब उनके खिलाफ मामला दर्ज हो गया है तो उनके पास उस पद पर बने रहने का नैतिक या कानूनी आधार नहीं रह गया है। उन्हें विधायक के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।’’ जयराजन ने कहा कि राज्य की वामपंथी सरकार ने न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट के मद्देनजर महिला सुरक्षा और फिल्म उद्योग की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी और कड़े कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार का नैतिक स्तर उच्च है क्योंकि मुकेश के खिलाफ गैर-जमानती प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।
जयराजन ने कहा, ‘‘सरकार किसी भी गलत काम करने वाले को न तो बचाएगी और न ही उसके प्रति कोई नरमी दिखाएगी। चाहे वे कोई भी हों, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। सरकार हमेशा सही रुख अपनाती है। आप बस, इंतजार करें और देखें।’’ एलडीएफ के कुछ मंत्रियों ने बुधवार को कहा था कि सरकार मुकेश के संबंध में कार्रवाई करने से पहले जांच के नतीजे का इंतजार करेगी।
मुकेश पर एक अभिनेत्री ने आरोप लगाया है कि अभिनेता ने कई साल पहले उसका यौन उत्पीड़न किया था जिसके आधार पर यह मामला दर्ज किया गया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि बुधवार रात कोच्चि शहर के मरदु पुलिस थाने में अभिनेता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (बलात्कार) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।
उन्होंने बताया कि यह मामला भारतीय दंड संहिता के तहत इसलिए दर्ज किया गया है, क्योंकि कथित अपराध भारतीय न्याय संहिता के लागू होने से पहले हुआ था। न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट में किए गए खुलासों के बाद विभिन्न निर्देशकों और अभिनेताओं पर यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं। तब से मलयालम फिल्म जगत की किसी ‘हाई प्रोफाइल’ हस्ती के खिलाफ यह तीसरी प्राथमिकी है।
इससे पहले, तिरुवनंतपुरम ‘म्यूजियम पुलिस’ ने आठ साल पहले एक होटल में एक अभिनेत्री से बलात्कार करने के आरोप में अभिनेता सिद्दीकी के खिलाफ बुधवार को मामला दर्ज किया था। पहला मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने के इरादे से उस पर हमला करना या आपराधिक बल प्रयोग) के तहत निर्देशक रंजीत के खिलाफ पश्चिम बंगाल की एक अभिनेत्री की शिकायत पर दर्ज किया गया था।
यह शिकायत 2009 की एक घटना के संबंध में की गई है। अभिनेत्री ने आरोप लगाया है कि निर्देशक ने 2009 में फिल्म ‘पालेरी मणिक्यम’ में अभिनय के लिए आमंत्रित करने के बाद उसे अनुचित तरीके से छुआ था। इन आरोपों को लेकर रंजीत ने केरल चलचित्र अकादमी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था।
सिद्दीकी ने भी अपने खिलाफ लगे आरोपों के बाद ‘मलयालम मूवी आर्टिस्ट एसोसिएशन’ (एएमएमए) के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया था। वर्ष 2017 में एक अभिनेत्री पर हमले के बाद केरल सरकार द्वारा गठित न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के उत्पीड़न एवं शोषण के मामलों का खुलासा किया गया है।