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अजय माकन बोले – ‘हमें सरकार चाहे जितना दबा ले, लेकिन हम महंगाई, बेरोजगारी व जीएसटी पर विरोध जारी रखेंगे’

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नई दिल्ली, 3 अगस्त। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के महासचिव अजय माकन ने ईडी की ओर से हेराल्ड हाउस स्थित यंग इंडियन का कार्यालय सील करने के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के आवासों के अलावा पार्टी मुख्यालय पर अतिरिक्त सुरक्षा बल की तैनाती के बाद बुधवार को केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि सरकार उनकी आवाज चाहे जितना दबा ले, लेकिन महंगाई, बेरोजगारी व कई वस्तुओं पर जीएसटी लगाए जाने पर वे अपना विरोध जारी रखेंगे।

5 अगस्त को प्रस्तावित विरोध पर पुलिसिया रोक

अजय माकन ने बुधवार की शाम मीडियाकर्मियों से कहा, ‘आज हमें डीसीपी का एक पत्र मिला कि हम पांच अगस्त को विरोध नहीं कर सकते और एआईसीसी को पुलिस छावनी में बदल दिया गया है। सरकार चाहे जितना चाहे हमें दबा सकती है, लेकिन हम महंगाई, बेरोजगारी, खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी का विरोध करेंगे और जेल जाने पर भी अपने कार्यक्रम के साथ आगे बढ़ेंगे।’

संसद से चलो राष्ट्रपति भवन और पीएम हाउस घेराव‘ का भी कार्यक्रम था

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले कांग्रेस ने मूल्य वृद्धि और बेरोजगारी पर पांच अगस्त को व्यापक राष्ट्रव्यापी विरोध करने की घोषणा की थी। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में पार्टी के सांसद मुद्दों पर अपना विरोध दर्ज कराने के लिए संसद से ‘चलो राष्ट्रपति भवन’ का आयोजन करने वाले थे। सीडब्ल्यूसी के सदस्य और वरिष्ठ नेतृत्व ने उस दिन ‘पीएम हाउस घेराव’ में भी भाग लेने की घोषणा की थी।

पीएमएलए पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर विपक्षी दलों ने जारी किया संयुक्त बयान

इस बीच टीएमसी, आईएनसी, डीएमके, ‘आप’, टीआरएस, एसपी, सीपीआई (एम), राजद और शिवसेना सहित सभी विपक्षी दलों नेएक संयुक्त बयान जारी कर पीएमएलए 2002 में संशोधनों को पूरी तरह से बरकरार रखने के सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के दीर्घकालिक निहितार्थों पर अपनी गहरी आशंका को रिकॉर्ड में रखा है।

संयुक्त बयान पर 17 विपक्षी दलों व निर्दलीय सांसद कपिल सिब्बल के हस्ताक्षर

इस क्रम में वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘आज 17 विपक्षी दलों (टीएमसी और आप सहित) और एक निर्दलीय राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने इस संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए। बयान सुप्रीम कोर्ट के फैसले (पीएमएलए 2002 में संशोधन पर) के निहितार्थ के बारे में है, खासकर जब सरकार का एकमात्र सिद्धांत राजनीतिक प्रतिशोध है। आगे भी कदम उठाए जाएंगे। हमने समीक्षा की मांग की है, हमारे नेता और विपक्षी नेता भी राष्ट्रपति से मुलाकात करेंगे। इसे सुप्रीम कोर्ट में उठाने के लिए भी कदम उठाए जाएंगे।’