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कांग्रेस की मांग – चीन सीमा पर हालात को लेकर सरकार श्वेतपत्र लाए, इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा की जरूरत

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नई दिल्ली, 20 जून। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने चीन से लगी सीमा यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति को लेकर केंद्र सरकार से श्वेतपत्र लाने की मांग की है। पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता मनीष तिवारी ने यहां एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘एक जिम्मेदार विपक्ष के नाते हमारे कुछ सवाल हैं, जिनके जवाब सरकार को देने चाहिए।’

मनीष तिवारी ने कहा, ‘तीन वर्ष पहले 19 जून, 2020 को पीएम मोदी ने गलवान की घटना के बाद सर्वदलीय बैठक में कहा था कि न कोई हमारी सीमा में घुसा है, न ही कोई पोस्ट दूसरे के कब्जे में है। ये बयान एक दिन पहले विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के विपरीत था।’ उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि गलवान की वारदात इस कारण से हुई थी कि चीनी सैनिकों ने घुसपैठ कर भारत की सीमा में टेंट लगाने की कोशिश की।’

जब कोई घुसपैठ नहीं हुई तो 3 वर्षों से लगातार हो रही चर्चा की सच्चाई क्या है?

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, ‘5 सितम्बर, 2020 को रक्षा मंत्री ने मॉस्को में SCO मीटिंग के दौरान चीन के रक्षा मंत्री से ढाई घंटे तक चर्चा की। 11 सितम्बर 2020 को मॉस्को में रशिया-इंडिया-चाइना ट्राइलेक्ट्रल में विदेश मंत्री ने चीन के विदेश मंत्री के साथ LAC की परिस्थिति पर बात की। तीन वर्षों में 18 बार बॉर्डर टॉक्स हुए हैं। जब कोई घुसपैठ नहीं हुई तो तीन वर्षों से लगातार हो रही चर्चा की सच्चाई क्या है?’

LAC से जुड़े सवालों को संसद का सचिवालय एडमिट क्यों नहीं करता?

मनीष तिवारी ने सरकार से पूछा, ‘क्या ये सच है कि LAC पर 65 पेट्रोलिंग प्वॉइंट्स में से 26 पर भारतीय सेना गश्त नहीं कर पा रही है? क्या ये सच है कि बफर जोन हमारी सीमा के भीतर बने हैं? चीन द्वारा LAC पर अतिक्रमण को रोकने के लिए भारत सरकार ने क्या किया? देश की संसद और रक्षा मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति में एक बार भी चीन पर चर्चा क्यों नहीं हुई? LAC से जुड़े सवालों को संसद का सचिवालय एडमिट क्यों नहीं करता?’

कांग्रेस प्रवक्ता ने अंत में कहा, ‘एक जिम्मेदार विपक्ष के नाते हमारी मांग है कि भारत-चीन सीमा विवाद पर एक व्यापक चर्चा होनी चाहिए। एक श्वेत पत्र जारी किया जाए कि पिछले तीन वर्षों में LAC के ऊपर जो घटनाक्रम हुआ है, उसकी सच्चाई क्या है?