नई दिल्ली, 30 मई। मणिपुर में हाल में हुई हिंसा को लेकर मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की और आग्रह किया कि प्रदेश में हिंसा रोकने तथा शांति एवं सौहार्द सुनिश्चित करने के लिए ठोस प्रयास किए जाएं। इस प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि मणिपुर हिंसा की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के किसी वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय जांच आयोग का गठन होना चाहिए।
राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपने गए प्रतिनिधिमंडल में खड़गे के अलावा कांग्रेस के संगठन महासचिव के.सी. वेणुगोपाल, महासचिव मुकुल वासनिक, कांग्रेस के मणिपुर प्रभारी भक्त चरण दास, पूर्व मुख्यमंत्री ओकराम इबोबी सिंह और कुछ अन्य नेता शामिल थे। कांग्रेस ने राष्ट्रपति से आग्रह किया कि चरमपंथी संगठनों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार को हर जरूरी कदम उठाना चाहिए तथा लापता लोगों का पता लगाने के लिए विशेष अभियान चलाना चाहिए।
प्रतिनिधिमंडल ने यह भी कहा कि विस्थापित हुए लोगों के पुनर्वास के लिए उचित कदम उठाया जाना चाहिए। ज्ञापन में प्रतिनिधिमंडल ने आग्रह किया है कि मणिपुर हिंसा की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के किसी वर्तमान या सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय जांच आयोग का गठन होना चाहिए।
मैतेई समुदाय द्वारा अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद मणिपुर में भड़की जातीय हिंसा में 75 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। मणिपुर में ‘जनजातीय एकता मार्च’ के बाद पहाड़ी जिलों में पहली बार जातीय हिंसा भड़क उठी। अनुसूचित जनजाति (एसटी) के दर्जे की मांग को लेकर मैतेई समुदाय ने तीन मई को प्रदर्शन किया था जिसके बाद ‘जनजातीय एकता मार्च’ का आयोजन किया था।
इसके बाद गत रविवार की हिंसा समेत अन्य हिंसक घटनाएं हुईं। रविवार की हिंसा में कम से कम पांच लोगों की मौत हुई है। आरक्षित वन भूमि से कूकी ग्रामीणों को बेदखल करने को लेकर तनाव के चलते, पहले भी हिंसा हुई थी, जिसके कारण कई छोटे-छोटे आंदोलन हुए थे। मैतेई समुदाय मणिपुर की आबादी का करीब 53 प्रतिशत है और समुदाय के अधिकतर लोग इंफाल घाटी में रहते हैं।
नगा और कुकी समुदायों की संख्या कुल आबादी का 40 प्रतिशत है और वे पर्वतीय जिलों में रहते हैं। भारतीय सेना और असम राइफल्स की लगभग 140 टुकड़ियां पूर्वोत्तर के राज्य में स्थिति सामान्य करने के प्रयास में जुटी हैं। हर टुकड़ी में 10,000 कर्मी होते हैं। इसके अलावा अन्य अर्द्धसैनिक बलों के जवानों को भी तैनात किया गया है।