नई दिल्ली, 5 अप्रैल। कांग्रेस ने शुक्रवार को दावा किया कि विपक्ष के दबाव और उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप पर मोदी सरकार को निशुल्क कोविड-19 टीकाकरण के लिए मजबूर होना पड़ा। कांग्रेस ने कहा कि महामारी के दौरान ‘‘जिस तरह का कुप्रबंधन रहा’’ उसे भूलना बेहद मुश्किल है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कोविड-19 के टीके निशुल्क मुहैया कराने को अपनी बड़ी उपलब्धि करार दे रही है।
रमेश ने ‘एक्स’ पर कहा, ”लेकिन सच्चाई तो यह है कि मोदी सरकार को विपक्ष की जिद और उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के कारण ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। आप घटनाक्रम समझिये। डॉ. मनमोहन सिंह ने 18 अप्रैल 2021 को प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर उनसे टीके से जुड़ी नीति को स्पष्ट करने का अनुरोध किया, जो तब तक बिल्कुल भी व्यवस्थित नहीं थी, और अधिक टीकाकरण हो इसके लिए उन्होंने काफी अच्छे सुझाव दिए।”
रमेश ने कहा कि 19 अप्रैल 2021 को केंद्र सरकार ने ‘उदारीकृत मूल्य निर्धारण तथा त्वरित राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण रणनीति’ की घोषणा की। इसके तहत 18 से 44 वर्ष के बीच के नागरिकों के टीकाकरण की जिम्मेदारी राज्य सरकारों को दे दी गई। निश्चित रूप से यह एक सार्वभौमिक मुफ्त टीकाकरण योजना नहीं है।
रमेश ने कहा कि 12 मई 2021 को विपक्ष के 12 नेताओं ने प्रधानमंत्री को एक संयुक्त पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने ‘मुफ्त, सार्वभौमिक सामूहिक टीकाकरण अभियान’ की मांग की। उन्होंने कहा कि 31 मई 2021 को उच्चतम न्यायालय ने संशोधित टीकाकरण रणनीति को ‘मनमाना और तर्कहीन’ करार दिया और मोदी सरकार को 13 जून 2021 तक इसकी समीक्षा करने का आदेश दिया। रमेश ने कहा कि इसके बाद ही सात जून 2021 को प्रधानमंत्री मोदी ने सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम की घोषणा की।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया,‘‘ कोविड-19 महामारी के दौरान जिस तरह का घोर कुप्रबंधन देखने को मिला, उसे भूलना मुश्किल है। गंगा में लाशें तैर रही थीं, ऑक्सीजन की भारी कमी थी, टीकाकरण में खामियां थीं।’’ उन्होंने कहा कि भाजपा के किसी भी स्तर का प्रचार भारत के लोगों के दुख, दर्द और तकलीफ को नहीं मिटा पाएगा।